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“लॉकडाउन - मज़दूर - मज़बूर - भूख और मौत”

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"पेड़ की भूमिका" “चलिए हम आपको लेख पढ़ने से पहले। इसकी भूमिका के बारे में थोड़ा समझा देते हैं।आप इसको नाटक/कहानी/वार्तालाप/लेख जो भी कहे पर हर शब्द उनकी ज़ुबानी। इस लेख को बयान किरदार करते हैं.और हम यानि “ इज़हार आलम” अपनी कलम से लिखते हैं। किरदार हमारे घर के सामने वाला पेड़ हैं। इस पेड़ के पत्तों के साथ साथ-साथ इस रहने वाले परिंदे। जो घोंसला बना कर इस पेड़ रहते हैं। पेड़ के क़िरदार या पात्र कहें सब पर्यावरण के मित्र हैं। जैसे - पेड़ के पत्तों में से पहला किरदार “हसमुख और दूसरा- “दोमुख” इसी तरह और भी नाम हैं इस पेड़ के पत्तो के। “चील आंटी” (जिनका बड़ा सा घोसला बना हैं इस पेड़ पर), “ तोते मियाँ”, “ गुररिया” (छोटी चिड़िया जो लुप्त हो गई), “कोयल” ओर बोहोत सारे परिंदे जो इस पेड़ पर रोज़ सुबह आ कर बैठ जाते हैं और बतियाते हैं । इनकी जुबानी आपके लिए।” “लॉकडाउन - मज़दूर - मज़बूर - भूख और मौत” बे चारा कितनी दूर जायेगा इसका तो चलते चलते दम न निकल जाये,” -  “हा ये खबर देखो एक्सीडेंट में दो लोग मारे गए। पिछले महीने भी एक ही फेमली के चार लोगो को ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिससे पूरा परिवा