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"ललन की माँ तुझ पर चुप क्यों हैं लोग" "Why are people silent on Lalan's mother"

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"हमारा पेड़" दिनांक-22 - मार्च -2020 सुना है हर पेड़ कुछ कहता है! "इज़हार आलम की क़लम से " "ललन की माँ,तुझ पर चुप क्यों हैं लोग" हमारा पेड बड़ा हरा भरा हैं।  इस पर तरह तरह के पंछी आकर आराम करते या अपना घोसला बनाते। इसका आकर भी बड़ा हैं। इस पेड़ पर एक चील आंटी का घोषला, एक छोटी गुरराय का घोंसला हैं. साथ ही मधुमखीओं का भी छत्ता कहे या घर ख़ैर जो भी कहो वो हैं बड़ा. ये इस पेड़ महाशय के काफी करीबी दोस्त बन चुके हैं हर दो साल में ये यहाँ आकर अपना घर बनते हैं और 4-8 महीने रहते हैं जब नए पत्ते आ जाते हैं ये यहाँ से घर छोड़ कही और चली जाती हैं इसी तरह चक्र चलता रहता हैं।इस पेड़ का।     ये सड़क के काफी बड़े हिस्से पर फैला हुआ हैं.  इसके निचे यहाँ के रहने वालो ने एक तख़त डाला हुआ हैं. जिस पर दिन रात यहाँ के लोग विराजमान रहते कभी यहाँ के लड़के बैठते कभी बुजुर्ग बैठे हंसी मज़ाक करते रहते हैं।  ये पेड अपने में अनेक किस्से लिए बैठा हैं। सायद ये अब एक एक कर सभी किस्सों को मुझे सुनाने को बेताब हैं। इस  पेड में जितने पत्ते हैं उतने किस्से हैं पिछले किस्से ‘"इ