“दाक्षि”नालंदा का सुपुत्र (सुपर हीरो)



synopsis “दाक्षि”

“दाक्षि”नालंदा का सुपुत्र  (सुपर हीरो)

संभल कर तीर वापस आ रहा हैं , तीर छोड़ने वाले के पास वापस आता और सीने में लगे कवच पर वार करता हैंIखिलाड़ी बेहोश हो जाता हैंI सामने दिखाई देने वाली मशाल के सामने अचानक तेज आंधी के साथ पथरो की बारिश होने लगती हैंIअब बाकि बचे खिलाडी बोहोत ध्यान से अपना अपना तीर धनुष पर चढ़ाते हैंI दोनों खिलाडी  पथरो के गिरने की लेय के साथ तूफ़ान  देखते हुए अपना अपना तीर टारगेट पर छोड़ देते हैंI तीर तेज़ बारिश तूफान के बीच से होता हुआ पासे के मसाले पर रगड़ खाता हैI पासा  मशाल में जा गिरता हैंI दूसरा तीर देखते ही देखते तीर छोड़ने वाले खिलाडी की तरफ वापस आने लगता हैंI मशाल के जलते ही एक तेज़ शोर के साथ हॉल गूंज उठता हैI साथ ही “महेन्दर परताप मालदिया” की जीत का शोर पुरे हॉल में गूंजने लगता हैंI नालंदा नालंदा का शोर चारों और फ़ैल जाता हैंI
कुछ लोग एक बुड्ढे दिखने वाले महान गुरु के पीछे पीछे दौड़ते चले जा रहे हैंI
“ देखो दुश्मन ने इस सबसे गुप्त कमरे में चोरी की हैंIआप लोगो ने कहा था जब तक इस गुप्त कमरे को पांच महान पण्डितो के मंत्रो से बंद हैंIऔर इसके पहेरेदारो में सबसे तेज चतुर और इंटेलिजेंट इसकी हिफाज़त में लगा रखे हैंI इन सभी के होते हुए भी कोई भी दुश्मन घुस नहीं सकता, पर इसके  बाद भी इस गुप्त कमरे से हमारे सबसे कीमती रिसर्चो को दुश्मन चुरा ले गए हैंIअगर ये रिसर्च गलत हाथों में पड़ गए तो समझो तबाह हो जाएगी दुनिया” I
महान गुरु ने अपनी कलम से कुछ बूँद उस जगह डाली जहां चोरों ने चोरी की थीI देखते ही देखते उस कमरे कमरे में हलकी काली धुंध फैल गई  उस धुंध में कुछ परछाई चलती फिरती दिखाई देने लगीI उनकी चोरी करने की हरकत परछाई के रूप में दिखाई देने लगी थी जैसी घटना वहां हुई थीI कुछ लोग पंडलूपी उठते उसकी नक़ल करते और रख देतेI 
”असम्भव ऐसा कैसे हो सकता”-महान गुरु से एका एक लफ्ज़ो में लिकला I
महेन्दर परताप मालदिया I नाम का एक युवा जो कि सबसे बड़े गुरु का सबसे हुनरबाज़ स्टूडेंट हैंI जिसने अभी अभी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियन शिप का आखरी मुकाबला (तीरंदाज़ी) जीता है और नालंदा को वर्ल्ड यूनिवर्सिटी चैंपियन बनाया हैI
“महेन्दर परताप” को इस घटना की जांच का जिम्मा सौंपा जाता हैंIदुश्मन की पहचान के साथ नालंदा में हो रही घटनाओं की जांच करने का जिम्मा भी सौंपा जाता हैंI जांच करते करते उसको पता चलता हैं की दुश्मन इस जगह के चप्पे - चप्पे पर मौजूद हैंI उनका इरादा (नालंदा यूनिवर्सिटी और महल) यहाँ पर कब्जा करना हैंI अगर कब्जा न कर पाये तो नालंदा को बर्बाद करना हैंI
(नालंदा यूनिवर्सिटी और महल) यहाँ पर कब्जा करना हैंI अगर कब्जा न कर पाये तो नालंदा को बर्बाद करना हैंI
अचानक लाब्रेरी में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैंI ये कोई सँजोग नहीं ये एक सोची-समझी साजिश के तहत हो रही हैंI( सभी पंडलूपिया ताड के पत्र पर लिखी जाती हैंI एक किस्म की लकड़ी )
जिसकी वजह से नालंदा का रिसर्च वर्क जल कर ख़ाक हो जाता था I उस रिसर्च वर्क का इस्तेमाल दुश्मन नए तरह के इंस्टूमेंट लड़ाई की मशीन बना रहा था I नालंदा उन सभी रिसर्च वर्क को खोता जा रहा थाI ऐसी ही एक लाबेर्री को जलाने की कोशिश की जानकारी महेन्दर के पास आती हैं वो उस ओर तेजी से दौड़ पड़ता हैंI एक छत से दूसरी छत छलांग लगाता लाबेर्री की छत पर दुश्मन को बारूद बिछाते देख महिंदर उसको तीर मार गिराता हैंI बारूद पर के पास रखे लकड़ी के पानी के ड्रम को पलट देता हैंI महेन्दर धीरे धीरे नीचे उतरता हुआ दुश्मन को  मार गिराता हैंI और वहा रखे पानी के ड्रमों को तोड़ता चला जाता हैंI जिस की वजह से आग पर काबू पा लिया जाता हैंI दुश्मन ये देख बौखला जाता हैं और महेन्दर पर खंजर से हमला कर देता हैंI महेन्दर उस दुसमन के साथ हाथा पाई में उसके सिर में खंजर गाड़ देता हैंI यहाँ से जैसे ही महेन्दर पलटता हैं दुश्मनो की एक टोली उसके पीछे से हमला कर देती हैंI खंजरों और तीरों से बचता “महेन्दर” तेज़ी से अपनी कमर पर बांधे कमरबन्द से एक छोटी सी कांच की शीशी से कुछ बूँद अपने बदन पर डाल लेता हैं. देखते-देखते महेन्दर को तितलिओं ( बत्तरफल्य ) का गुरूप अपने आगोश में ले लेता हैंI तितलियाँ महेन्दर को हवा में ऊपर की ओर उड़ा ले जाती हैं!
महेन्दर को परत दर परत दुश्मन की ताक़त का अंदाज़ा होने लगता हैंI कितना खतनाक और चालाक हो चूका हैं I इसका अंदाज़ा इसी बात से लगा जा सकता हैंI के दुश्मन कभी भी नालंदा को तबाह कर सकता हैंI यहाँ  दुश्मन को अपना भेद खुलते देख वो अचानक ही आक्रामक हो उठते हैंI संकटों का पहाड़ टूट पड़ता हैंI
यहाँ के आक्रामक हालात में  महेन्दर को नालंदा का दुश्मन बना दिया जाता हैंI एक एक कर सभी गुरुओं को कैद कर लिया जाता हैंI या या फिर  मार दिया जाता हैंI
दुश्मनों से बचता बचाता हुआ महेन्दर और उसके साथी जंगलो में छुप कर रहने लग जाते हैंI जहां उसकी मुलाकात उस लड़की से होती हैं जो उसको जीत के जश्न में मिली थीI जहाँ दोनों में प्यार की चिंगारी पनपती हैंI जंगल में मिलने परI  दोनों  में फिर से प्यार  परवान चढ़ता हैंI यहाँ महेन्दर को उस लड़की की असलियत पता चलती हैं ये कोई साधारण लड़की नहीं बल्कि दूसरे देश की राजकुमारी हैंI
महेन्दर बहरूपियाबन कर सिपाहियों से छिपता हुआ शहर की गलियों में घूम रहा था I के एक एक उसकी उसकी नज़र आसमान की ओर जाते धुएँ की और जाती हैं, जो लाल रंग का दिखाई दे रहा था I महेन्द्र प्रताप मालदिया (दाक्षि) के चेहरे पर परेशानी साफ दिखाई देने लगती हैं वो विचलित दिखाई देने लगा I ये लाल धुँआ महान गुरु की मौत का सन्देश हैंI जो नालंदा के महल की जीवन और मौत की चिमनी से निकल रहा थाI परेशां महेन्दर खुद के पीछे पड़े सिपाहियों से बचता बचाता गुरुकुल(क़िले) में सीधे गुरु के कमरे में चला जाता हैंI वहाँ गुरु बिस्तर पर पड़े हैंI महेन्दर की आँखों में आसूं बहने लगेI गुरु के पैरों को पकड़ कर नीचे बैठ जाता हैI के तभी महान गुरु के जिस्म में हरक़त होती हैंI गुरु महेंदर को इशारा करके अपने पास बुलाते हैंI महिंदर के पास जाने पर उसके कान में कुछ कहते हैं और एक तरफ ऊँगली से इशारा करते ही गुरु महेंदर के हाथों में दम तोड़ देते हैंI मेहन्दर फुट फुट कर रोने लगता हैंI कियोकी महेनद्र  गुरु को अपने पिता के रूप में देखता था I  इन्ही गुरु ने महेन्दर को पाला पोसा थाI महेन्दर उनके किये इशारे की और चल पड़ा मगर वहाँ कुछ नहीं था सिवाए दिवार के, इतने में दुश्मन ने पूरे नालंदा को अपने कब्जे में कर लिया और उस कमरे में खड़े सभी गुरुओं को घेर लिया अब तक महेन्दर भी सिपाहियों से घिर  गया था I महेन्दर को गिरफ्तार कर, शहर के बीचों बीच हाथीओ से कुचलने का हुक्म सुना दिया जाता हैं I महेन्दर शहर में पहुंचते ही सिपाहीयो को चकमा दे कर गलीओ में फरार हो जाता हैं, उसका पीछा करने के लिए सिपाहीयो ने एक शीशी से कुछ बूंद डाली और कुछ चमकादड़ महेन्दर की खुशबू की तरफ आकर्षित होने लगे जिसे देख महेन्दर  देरी न करते हुए अपनी कलम से एक सेल्फ स्केच लाइफ साइज का जल्दी से बनाता हैंI जो महेन्दर का हूबा हूँ दिखाई पड़ताहैं I ये बेहरुप्या परछाई उसके साथ साथ दौड़ने लगी, महेन्दर के इशारे पर परछाई दूसरी दिशा में दौड़ने लगीI दूर जाकर वो कुएं में कूद पड़ी I चमकादड़ घूम-घूम  कर उसी कुएं के इर्द-गिर्द घूमने लगे, इससे  दुश्मन चकरा गया I
उधर महेन्दर सीधे जंगल में अपने दोस्तों के पास जाकर सारा किस्सा सुनाता हैंI और गुरु के हत्यारों के साथ-साथ कसम खाता हैं कि दुश्मन को जड़ से खत्म करके ही दम लेगा I 
“लेकिन? हम लाखों की फौज का सामना कैसे करेंगे”- उन्ही में मौजूद एक गुरु जो महेन्दर का दोस्त भी था,  ने अपनी सलाह -- आस पास के कई कबीलों को बुलाने का सुझाव दियाI जिनके साथ हमारे मधुर सम्बन्ध हैंI इसी बीच एक अप्रिय घटना होती हैI राजकुमारी महेन्दर को अपने साथ चलने को कहती हैंI और नदी के पास जाकर एक अजीब जानवर की आवाज़ निकलती हैं, दूसरी और से भी कई अवाज़ इसी तरह से आती I जिसके साथ देखते-देखते नदी पर इंसानो के द्वारा लकड़ी का पुल चंद लम्हों में बनता चला आता हैंI जिसको देख कर महेन्दर चौक जाता हैंI
जेसे जेसे सभी  लोग आगे पुल पर बढ़ते जाते जाते हैं, पुल अपने आप ही हटता चला जाता था I (ये एक अध्भुत पुल था जो इंसानों के द्वारा लकड़ी से बनाया और हटाया जा रहा था I
इंसान दिखाई भी नहीं देते I पल भर के बीच पुल ( पल्टून पुल ) तैयारI सभी नदी के दूसरी ओर पहाड़ी पर जंगलों में सुरक्षित पहुँच जाते हैं I
यहाँ उसके हज़ारों की तादाद में सिपाही छुपे रहते हैंI जो की अपनी राजकुमारी की हिफाज़त में लगे रहते हैं I सिपाहियों को देख गुरु-महेन्दर अचम्भे से भर जाते हैं क्योंकी इसकी जानकारी आज तक किसी भी गुप्तचर ने नहीं दीI  राजकुमारी के द्वारा सारा माज़रा समझाने पर सब समझ जातेI
राजकुमारी  अपनी सेना को इस युद्ध में लड़ने के लिए तैयार करती हैंI और नालन्दा के गद्दारों को वह से मार गिराने का वचन लेतीहैंI 
कुछ दिनों तक दोनों शहर के साथ गरूकुल की जासूसी करते हैं. जहां उनकी मुलाकात दूसरे गुरुओं से होती हैं जिनकी हालत बोहोत ख़राब हैं I कुछ गुरुओं को दुश्मन की जेल से निकलने में सफल हो जाते हैं I पर दुश्मन के कुछ बचे सिपाही पीछे लग जाते हैंI महेन्दर - गुरु और राजकुमारी को अपनी तितलिओं के सहारे दूसरी दिशा में भेज, पीछे आते सिपाहियों से उलझ जाता हैं और उनको चकमा देकर नदी पर खड़े पानी के जहाज के निचे छुप जाता हैं I जहाँ उसको दुश्मन के होने का पता चलता हैंI इस जहाज पर वो भी सिपाही हैं जो महेन्दर का पीछा कर रहे थे I महेन्दर भी उस पर चढ़ने में सफल हो जाता हैं,और दुश्मनों के साथ घमासान लड़ाई में दुश्मनों को मार गिराता हैंI यहाँ दुश्मनो के भेद जान करI यहाँ से महेन्दर सीधे अपने ठिकाने नदी पार कर चला जाता हैंI बचे दुश्मन के सिपाही इसकी जानकारी अपने आका को दे देते हैंI जिसके बाद  नालंदा में बैठा हुआ दुश्मन (आका) अपने सबसे कुरुर और जालिम सेनापति को महेन्दर को जिन्दा लाने का जिम्मा देता हैंI ताकि वो गुप्त कमरे का पता लगा सके, उस गुप्त कमरे में रखे अमृत कलश को पा सके I पर उसको पाने के लिए उसके पास सिर्फ एक चाबी हैं वो “दक्षु” नाम के गुरु, उसके लिए दूसरी चाबी की भी जरुरत होगी जो महेन्दर के रूप में ज़िंदा हैं I और जिसका जिन्दा रहना उस अमृत कलश के मिलने तक बोहोत जरुरी हैंI दोनों के साथ आने पर वो गुप्त कमरा खुल सकता हैं ! जिसमें अमृत कलश रखा हैं I
“क्या हैं अमृत कलश”
अमृत कलश एक तखत के आस पास मौजूद कीट-पतंगे जहरीले सांप-बिच्छू आदि और उस मशीन में बंद वो रसायन जो वक्त आने पर एक साधारण इंसान को 100 हाथीओ की मज़बूती, 10शेर से भी ज्यादा ताकत,लोमड़ी की चतुराई, कीट-पतंगों की रंगत I जिसम की फ़ुर्ती 1लाख आदमीओ से भी  ज्यादा तेज़ दिमाग, और एक खास किस्म का कवच जिसपर पूरे यूनिवर्सल कI कंट्रोल I 
जिसकी ताकत से वो जब चाहये तब भविष्ये ,जब जरुरत पड़े तो भूतकाल  में और वर्तमान में आ-जा सकता था Iउसके हाथ में एक अंगूठी होगी जिस पर पूरा यूनिवर्स घूमता हुआ दिखाई देता हैं Iजिससे वो  टाइम  को रोकने में कामयाब हो सकता हैं I 
युद्ध 
जब युद्ध का टाइम आया तो दोनों सेनाएं तैयारी करने लगीI महेन्दर, राजकुमारी, अपनी अपनी फौजे(टीम) लेकर अलग अलग रास्तों से नदी पार करने लगे I नदी के पार करते करते महेन्दर और उसकी टीम पर हमला होने लगा जिससे महेन्दर को भारी नुकसान होने लगा I मैदान में आकर दोनों सेनाओं में छन्द और चक्रव्युह से भरा  युद्ध शुरू होने लगता हैं जिसमें दोनों अपने अपने सस्त्रो और फोज़ का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से करते हैं I
महेन्दर दुश्मन को चकमा देने के लिए चक्रवियूह की रचना करता हैं I जिसको देख दुश्मन धोखा खा जाता हैं, और गुस्से में दुश्मन गलत रास्ता चुन लेते हैं,  जिस का फायदा महेन्दर उठता हैं I घमासान युद्ध में महेन्दर सेनापति को मार गिराता हैंI
दुश्मन राजा को ढूंढ़ता हुआ अकेला ही किले में चला जाता  हैंI राजा चलाक हैं I वो अपने एक वफ़ादार को महेन्दर का सिपाही बना कर, महेन्दर के पास सूचना भेजता हैं, की राजा ने राजकुमारी को अगवा कर, गुरुकुल में महान गुरु के कमरे में कही छुपा दिया हैं उसकी डिमांड हैं अमृत कलशI जब तक मिल नहीं जाता राजा उसको आज़ाद नहीं करेगाI महेन्दर राजा को देख कर अचंभित होता हैं कियोकि?
“महेन्दर परताप मालदिया” गुरु के कमरे में जैसे ही एंट्री करता हैं सामने राजा ने राज कुमारी को एक बड़े कुण्ड के ऊपर लटकाई हुई हैं I जिस्म पर कम कपडे हैं I कुंड में जहरीले सांप बिच्छू कीड़े मकोड़े भरे पड़े हैंI सभी राजकुमारी के ऊपर चढ़ने को बेताब नज़र आ रहे इसमें एक कीड़े ने भी डस लिया तो राजकुमारी को चंद समय में मरा समझो I
नीचे कुंड में उबाल खाने को बेताब तेल I उधर  राजा ने बेइंतहा मारा गुरु जमीन पर बेहोश-अधमरा पड़ा हैंI
राजा और महेन्दर के बीच समझौता होता हैंI 
समझौते के तहत राजकुमारी को सिपाही उतार कर कुंड के पास खड़ा कर देते हैं I अब महेन्दर और गुरु एक साथ कमरे के बीचों बीच खड़े हो कर एक दूसरे के साथ फर्श पर बने मोर पथरो पर एक धुन बना कर एक साथ पैर मारते हैंI अचनाक धुन से मोर पत्थर जादुई करिश्में की तरह  खिसक जाते हैं I अब  तीनो निचे उतरने लगते मगर सीढ़ीओ पर उतरने से पहले गुरु और महेन्दर राजा को सलाह देते हैं I निचे सीढ़ीओ पर वजन कम से कम होना चाहिएI तीनो अपने अपने  कपडे कम करके अपना वजन कम करते हैं और नीचे उतर जाते हैंI निचे उतर कर जैसे ही कमरे में पॅहुचते हैंI राजकुमारी ऊपर से राजा के कंधो पर छलांग लगाती हैं तभी गुरु महेंदर को जोर से आवाज लगाता हैं तुरंत गुरु का आदेश मानत्ता हुआ महेन्दर सामने हवा में लटकी कुर्सी पर बैठ जाता हें!
“लए में पैर मरो महेन्दर दोनों पथरो पर जोर से पैर मारने लगा साथ मंत्र पढ़ने लगा"-जो मन्तर महान गुरु मरते वक़्त महेन्दर के कान में बोल गए थेI
जिसको देख दुश्मन राजा बौखला गया और तेज़ी से महेन्दर की और लपका मगर महेन्दर मंत्रो का जाप कर चूका थाI एक आंधी ने महेन्दर को घेर लिया और देखते देखते महेन्दर “दाक्षि” बन गयाIउसका एक एक रोम सोने-तारो की चमक की तरह दमक रहा थाI दुश्मन की एक गलती की वज़हें से महेन्दर प्रताप मालदिया -”दाक्षि” नालंदा का सुपुत्र कहलायाI (नाम गुरुओं ने दिया)
समाप्त
लेखक
इज़हार आलम (Writerdelhiwala)
 Episode -1 आपको जल्द पढ़ने को मिलेगा अगर आप  इस बुक को सुन्ना चाहते हो तो निचे दिए लिंक पर जा कर सुन सकते हैं। 
https://www.pocketfm.in/episode/037d33388516a14664e81d7415bdd4cd92e0208e

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