संदेश

अक्तूबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

देखो बिहार आया

देखो बिहार आया   खण्ड -2 "ए दोमुख जरा कुछ खबरे तो सुना"-  चील दोमुख के कान ऐंठते हुए - "आज के मुख्य समाचार इस प्रकार हैं आंटी जी" - दोमुख  सुबह की पोह फटी थी पेड़ के निचे ललन अखबार लिए बैठा जोर जोर से खबरे पढ़ रहा था।   तुर्की में भूकम आया १० मर गए।   "छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला ३ पुलिस वाले जख्मी", और बहार का पेज गया इसमें कोनसी खबर हैं हैं ये तो हमारे प्रधान सेवक की खबर हैं इसको धियान से पढ़ना पड़ेगा।   ललन ने अपना चस्मा नाक से खिसकते हुए खबर पर ध्यान से देख कर पढ़ने लगा ललन की पड़ने की छह इतनी थी के वस्को नहीं पता था के वो सही पढ़ रहा हैं या गलत पबाद पढ़ना था इसी लिए वो सवेरे सवेरे ही अखबार ले लेकर घर से बहार पेड़ के निचे बेथ कर पढता हैं।  खबर सुने आप सायद काम आजाये ललन के या आप के।  "कल हमारे प्रधान सेवक गुजरात को एक नहीं कई योजनाओ का लॉक अर्पण करेंगे जो उन्होंने गुजरात को पिछले वर्ष दी थी। सरदार सरोवर पर बने कई टूरिस्ट स्पोर्ट जहा से गुजरात को हर वर्ष करोड़ो रूपीओ का सहारा मिलेगा और हजारो को नौकरी सरकारी/प्राइवेट।" और ललन चुप हो गया क्यूंकि सामने से मिस
चित्र
"महमूद अहमद" अगर आपको काले स्याह बदल उमड़ते महसूस हो तो आपका मन अठखेलियाँ करने लगेगा। मन के न चाहने पर भी काले स्याह बदलो से टपकती बूंदो में भीगने को बेचैन हो जायेगा हैं। ऐसा क्यों होता हें? इसका आपको पता हैं।        मैं बात यहाँ मौसम की नहीं मैं बात काले स्याह रंग की कर रहा हूँ।      बोहोत हैं ऐसे कलाकार जो रंगीन चित्रकारी करते हैं। मगर आपको काले स्याह रंग के कलाकार की बात करे तो हम कुछ चुनिन्दा कलाकारों की बात करते हैं। उनमें से एक ऐसा नाम जो अपना मुकाम बुलन्द बना चुके हैं जिनके कागज़ पर कपडे पर आपको स्याह रंग की बानी वो तान देखने को मिलेगी जो उनकी तजुर्बे और मेहनत से खींची गई हैं। उनके द्वारा स्याह रंग के इस्तेमाल को देखने के मुरीद हम भी हैं। हमको इस कोरोना के समय में महमूद जनाब से मुलाकात करने का मौका मिला। उनके दिल्ही स्थित ललित कला के गढ़ी के छोटे से स्टूडियो में उनकी एक मजेदार टेबल / मेज़  हैं जिस पर रखा मेहमूद पेंटिंग किया करते हैं एक कुर्सी और आस पास पेंटिंग्स का अम्बार हैं. महमूद अहमद के साथी कलाकार कम ही स्टूडियो में दिखाई पड़ते हैं। तो मेहमूद जनाब का अपना एक परमानेंट