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Facebook ki kahani ek gular ka ped I het( part-2)

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Khatta Abhi tala nahi  "फेसबुक खतरा अकेला नहीं और भी हैं" पार्ट -2  - दोमुख ने पूछा ' चील आंटी इसमें हमारा क्या नुक्सान हैं पैसा सरकार दे या कंपनी।"  -चील आंटी मुस्कुराई- "नुक्सान अब शुरू होता हैं आप लोगो का यानि पेड़ समुदाइयो का, जिससे भी यानिबन जाता हैं उस  तुम्हारे मौसा ताऊ जिससे भी सरकार को खतरा महसूस होता हैं सरकार उसका पेज ब्लॉक करा देती हैं। रोज़ ऑफिस से लिस्ट भेज दी जाती हैं विपक्ष के पेज हो या सरकार की नीतिओ के खलाफ लिखने वाले हो या सेकुलर, कम्यूनिस्ट आदि हो सभी को फेसबुक पर ब्लॉक करने ही मुख्य काम बन जाता हैं"- "वो तो ठीक हैं हमारा तो नहीं ब्लॉक होता, और इससे हमारा क्या ताल्लुक़ हैं, हम किस तरह इससे मुतास्सिर होंगे?" - हसमुख ने पूछा।- " नुक्सान तुम्हारे इस्तेमाल से होता हैं. तुम उनके द्वारा झूट फैलाने में मदद करते हो तुम खुद चेक नहीं करते के जो में पोस्ट भेज रहा हूँ वो सही भी या झूट से भरी तो नहीं कही हमरे किसी पेड़ भाई को नुक्सान तो नहीं उठाना पड़ेगा।यहाँ तक तो ठीक हैं जब सरकार का तुम सभी पेड़ो पर अधिकार हो जायेगा कोई तुम्हारी बात उठाने

facebook ki mehrbaan. rachi kahani gular ka ped i het",फेसबुक की मेहरबानी, एक रची कहानी "गूलर का पेड़ आई हेट"

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फेसबुक की मेहरबानी, एक रची कहानी  "गूलर का पेड़ आई हेट"                "फे सबुक कितना भी इस्तेमाल कर लो मन नहीं भरता"- हसमुख अपने मोबाइल की स्क्रीन पर फेसबुक की न्यूज़ पढ़ रहा था लोगो के डेली डाले जाने वाले मीम और पोस्ट बड़े चाओ से देख रहा था। दोमुख, चांदमुखी दोनों हसमुख के उस रिएक्शन को देख रहें थे जिसको पढ़ कर हसमुख कभी हसंता तो कभी गुस्से में बड़बड़ करता।  काफी देर हो चुकी थी रात के सायद 1 बजे होंगे। दोमुख से जब रहा नहीं गया तो उसने हसमुख के कंधे पर हाथ मारा और दुसरी और से उसका मोबाइल झपट लिया। -"अरे अरे कौन चोर हैं" -हसमुख घबराया, पीछे मुड़ कर देखा तो चांदमुखी और दोमुख मुस्कुरा रहे थे।  " यार ऐसा मत किया कर में घबरा जाता हूँ मेरा छोटा सा दिल बेठ सा जाता हैं।" - दोमुख ने मोबाइल के फेसबुक के उसके पेज को स्क्रोल करना शुरू किया उसमें तो पेड़ो से सम्बंधित हेट न्यूज़, स्पीच भरी पड़ी थी। दोमुख ने चांदमुखी को मोबाइल की स्क्रीन दिखाते हुए सवाल किया। "देखो देखो इस न्यूज़ को क्या तुम भी ऐसा ही सोचती हो हसमुख के बारे में "-" क्या सवाल करते हो दोमुख,

monopoly, एकाअधिकार, ekaadhikar

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एका -अधिकार , एका-अधिकार। मोनोपोली   एकाअधिकार, होगा अगर आपकी होल सेल की दूकान को एक बड़ी कंपनी धीरे धीरे कैप्चर कर ले। आप कहेंगे के ये कैसे हो सकता हैं मेरा व्यापार हैं मेरी मर्जी में तो नहीं बेचूंगा अपना काम धन्धा तो कैसे कैप्चर करेगा। सही कहा अपने आप कहा बेचेंगे आप तो अपने काम के मालिक हैं। आपको तो पता भी नहीं चलेगा कब आपका धन्धा मंदा हो गया। हम समझाते हैं आपको कैसे  व्यापार बेचना पड़ेगा।अगर कोई दूसरा काम धन्धा बचा होगा तो कर सकेंगे आप।                  तो यू समझिए के एक कोल्ड ड्रिंग  देश में नाम था कैम्पाकोला, था न? आप कहेंगे हां था. 90 के दशक में आती थी। लिम्का भी थी थम्सअप भी थी 7up भी थी और भी थी। पर पर सभी को कोकाकोला कंपनी ने भारत में आते ही एक-एक कर मोटा लालच दे कर या धमका कर खरीद लिया। एक-एक कर सभी सॉफ्ट ड्रिंक की कम्पनी कोकाकोला के सामने टिक न सही और वो बिकनी शुरू हो गई कोका कोला का मार्किट पर एकाअधिकार हो गया। अब मन-मान प्राइस वसूल कर सकता थी। न कोई कंम्पीटेटर बचा ही नहीं तो पुरे देश की मार्किट पर उसका अधिकार स्थापित हो गया। अगर कोई नया ड्रिंग्स आती  भी तो वो जल्दी बंद हो जा

EK KHABAE KHABRCHIO KI PART -2

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PART -2 अब आते हैं सीनियर पत्रकारों के बारे में बोलना उसमें  अब बात हम " रविश कुमार"  की करते हैं एक बेहतरीन गजब भाषा पर सटीक कमांड के साथ मौजूदा हालत की बिलकुल सही जान कारी लोगो तक पहुँचाना यही जर्नलिज्म हैं।  वैसे और चेनलो में ये जनरलनिजम कही दिखाई नहीं पड़ता ओह गलत कहा  सुनाई भी नहीं पड़ती। रविश की बात उपर दिए सभी से अलग हैं या यू कहे के वो इन सब के जनक के रूप में भी देखना चाहिए सरकार से सवाल करना जनरलिजम का पहला धर्म हैं वो भी......! हिंदी में न्यूज़ पड़ने वाले सुनने वालो को सही जान कारी देना यही सही जर्नलिज्म हैं हिंदी में कहें तो पत्रकारिकता।  रविश को आप सभी भली भाती जानते हैं इनके साथ घटित घटनाये गाली गलोचो से आप सभी वाकिफ हैं मेरे बताने को ऐसा कुछ नहीं बस में रविश जी के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ तो यही माध्यम सही लगा के हिंदी के पत्रकार की हिंदी में  की गई तारीफ किसको पसंद नहीं लेकिन " रविश कुमार"  जी की तारीफ सभी वो लोग करते हैं जो उनको दिल से पसंद करते ही हैं साथ में उनके शो को रात 9 बजे के  प्राइम टाइम  में सुनना पसंद करते हैं में उनके लिए ये लिख कर लोगो तक