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हामिद की ईदगाह वाली जैसी ईद ?

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"पेड़ की भूमिका" (“चलिए हम आपको लेख पढ़ने से पहले। इसकी भूमिका के बारे में थोड़ा समझा देते हैं।आप इसको नाटक/कहानी/वार्तालाप/लेख जो भी कहे पर हर शब्द उनकी ज़ुबानी। इस लेख को बयान किरदार करते हैं.और हम यानि “ इज़हार आलम” अपनी कलम से लिखते हैं। किरदार हमारे घर के सामने वाला पेड़ हैं। इस पेड़ के पत्तों के साथ साथ-साथ इस रहने वाले परिंदे। जो घोंसला बना कर इस पेड़ रहते हैं। पेड़ के क़िरदार या पात्र कहें सब पर्यावरण के मित्र हैं। जैसे - पेड़ के पत्तों में से पहला किरदार “हसमुख और दूसरा- “दोमुख” इसी तरह और भी नाम हैं इस पेड़ के पत्तों के। “चील आंटी” (जिनका बड़ा सा घोसला बना हैं इस पेड़ पर), “ तोते मियाँ”, “ गुररिया” (छोटी चिड़िया जो लुप्त हो गई), “कोयल” ओर बोहोत सारे परिंदे जो इस पेड़ पर रोज़ सुबह आ कर बैठ जाते हैं और बतियाते हैं । इनकी जुबानी आपके लिए।” )                                 ________________________________________________ " हामिद की ईदगाह वाली जैसी  ईद ? "  " हामिद   की   ईदगाह   वाली  जैसी    ईद  ? "  "आज ईद हैं , पर ख़ुशी

PPE KIT वार्सिस बुरखा KIT

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"PPE   किट  वार्सिस   बुरखा   " "पेड़ की भूमिका" “चलिए हम आपको लेख पढ़ने से पहले। इसकी भूमिका के बारे में थोड़ा समझा देते हैं।आप इसको नाटक/कहानी/वार्तालाप/लेख जो भी कहे पर हर शब्द उनकी ज़ुबानी। इस लेख को बयान किरदार करते हैं.और हम यानि “ इज़हार आलम” अपनी कलम से लिखते हैं। किरदार हमारे घर के सामने वाला पेड़ हैं। इस पेड़ के पत्तों के साथ साथ-साथ इस रहने वाले परिंदे। जो घोंसला बना कर इस पेड़ रहते हैं। पेड़ के क़िरदार या पात्र कहें सब पर्यावरण के मित्र हैं। जैसे - पेड़ के पत्तों में से पहला किरदार “हसमुख और दूसरा- “दोमुख” इसी तरह और भी नाम हैं इस पेड़ के पत्तो के। “चील आंटी” (जिनका बड़ा सा घोसला बना हैं इस पेड़ पर), “ तोते मियाँ”, “ गुररिया” (छोटी चिड़िया जो लुप्त हो गई), “कोयल” ओर बोहोत सारे परिंदे जो इस पेड़ पर रोज़ सुबह आ कर बैठ जाते हैं और बतियाते हैं । इनकी जुबानी आपके लिए।” PPE किट वार्सिस बुरखा   "भा ई दोमुख ये PPE  किट की चर्चा  इतनी क्यूँ  हो रही हैं।"- हसमुख निचे जाते हुए एक इंसान को देख रहा था जो अभी एक नीली सी किट पहने बाइक पर सवार जा रहा

LIFE STUDY | PENCIL SHED | AMAZON ART SCHOOL |PART -II

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Every tree says something, I have started writing on this subject. Some things happen on the tree. On which there is a story between the leaves and the living birds who tell each other the day-to-day story. They are written in Hindi but will translate it into English, and Urdu too.

“लॉकडाउन - मज़दूर - मज़बूर - भूख और मौत”

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"पेड़ की भूमिका" “चलिए हम आपको लेख पढ़ने से पहले। इसकी भूमिका के बारे में थोड़ा समझा देते हैं।आप इसको नाटक/कहानी/वार्तालाप/लेख जो भी कहे पर हर शब्द उनकी ज़ुबानी। इस लेख को बयान किरदार करते हैं.और हम यानि “ इज़हार आलम” अपनी कलम से लिखते हैं। किरदार हमारे घर के सामने वाला पेड़ हैं। इस पेड़ के पत्तों के साथ साथ-साथ इस रहने वाले परिंदे। जो घोंसला बना कर इस पेड़ रहते हैं। पेड़ के क़िरदार या पात्र कहें सब पर्यावरण के मित्र हैं। जैसे - पेड़ के पत्तों में से पहला किरदार “हसमुख और दूसरा- “दोमुख” इसी तरह और भी नाम हैं इस पेड़ के पत्तो के। “चील आंटी” (जिनका बड़ा सा घोसला बना हैं इस पेड़ पर), “ तोते मियाँ”, “ गुररिया” (छोटी चिड़िया जो लुप्त हो गई), “कोयल” ओर बोहोत सारे परिंदे जो इस पेड़ पर रोज़ सुबह आ कर बैठ जाते हैं और बतियाते हैं । इनकी जुबानी आपके लिए।” “लॉकडाउन - मज़दूर - मज़बूर - भूख और मौत” बे चारा कितनी दूर जायेगा इसका तो चलते चलते दम न निकल जाये,” -  “हा ये खबर देखो एक्सीडेंट में दो लोग मारे गए। पिछले महीने भी एक ही फेमली के चार लोगो को ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिससे पूरा परिवा

coronavirus 19

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Every tree says something, I have started writing on this subject. Some things happen on the tree. On which there is a story between the leaves and the living birds who tell each other the day-to-day story. They are written in Hindi but will translate it into English, and Urdu too.

Corona Quarantine

Every tree says something, I have started writing on this subject. Some things happen on the tree. On which there is a story between the leaves and the living birds who tell each other the day-to-day story. They are written in Hindi but will translate it into English, and Urdu too.

"ललन की माँ तुझ पर चुप क्यों हैं लोग" "Why are people silent on Lalan's mother"

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"हमारा पेड़" दिनांक-22 - मार्च -2020 सुना है हर पेड़ कुछ कहता है! "इज़हार आलम की क़लम से " "ललन की माँ,तुझ पर चुप क्यों हैं लोग" हमारा पेड बड़ा हरा भरा हैं।  इस पर तरह तरह के पंछी आकर आराम करते या अपना घोसला बनाते। इसका आकर भी बड़ा हैं। इस पेड़ पर एक चील आंटी का घोषला, एक छोटी गुरराय का घोंसला हैं. साथ ही मधुमखीओं का भी छत्ता कहे या घर ख़ैर जो भी कहो वो हैं बड़ा. ये इस पेड़ महाशय के काफी करीबी दोस्त बन चुके हैं हर दो साल में ये यहाँ आकर अपना घर बनते हैं और 4-8 महीने रहते हैं जब नए पत्ते आ जाते हैं ये यहाँ से घर छोड़ कही और चली जाती हैं इसी तरह चक्र चलता रहता हैं।इस पेड़ का।     ये सड़क के काफी बड़े हिस्से पर फैला हुआ हैं.  इसके निचे यहाँ के रहने वालो ने एक तख़त डाला हुआ हैं. जिस पर दिन रात यहाँ के लोग विराजमान रहते कभी यहाँ के लड़के बैठते कभी बुजुर्ग बैठे हंसी मज़ाक करते रहते हैं।  ये पेड अपने में अनेक किस्से लिए बैठा हैं। सायद ये अब एक एक कर सभी किस्सों को मुझे सुनाने को बेताब हैं। इस  पेड में जितने पत्ते हैं उतने किस्से हैं पिछले किस्से ‘"इ