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SOORMA सुरमा बिना गॉड फादर के "

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"सूRMA  सुरमा बिना गॉड फादर के " "सूरमा" दिलजीत दोसाँद की बेहतरीन एक्टिंग, हॉकी के सब्जेक्ट पर " चक-दे-इंडिया " और सूरमा जैसी फिल्म बनी ओर कामयाब भी हुई. मगर मैं आज इन दो चलचित्र (मूवी) की आप से बात नहीं करने जा रहा हूँ। मैं आज हॉकी की अपनी प्रेम कथा और इस खेल के सूरमा की बात करने जा रहा हूँ जैसा संदीप सिंह के जीवन की घटनाओ से प्रेरित होकर, एक शानदार फिल्म बनाई गई हैं ।    मैं कल रात इस फिल्म को देख रहा था फिल्म में जैसे जैसे किरदार बनता जा रहा था उसके साथ होने वाली घटनाए भी बढ़ती जा रही थी. फिल्म के देखते देखते मुझे अपना अतीत या यु कहे मुझे अपने स्कूल टाइम के समय की हॉकी खेलने की कहानी फिल्म के द्रश्यो की माफिक आँखों के सामने बारी-बारी आती गई। अब आप पूछेंगे ऐसा क्या तीर मार लिए स्कूल में। और कोई न कोई खेल स्कूल में तो सभी खेलते हैं। मगर खेल तब खाश बन जाता हैं जब यमुना पार के टेंट वाले स्कूल हो। जिसमें सुविधाओं के नाम पर बस कपडे के टेंट और बैठने के लिए टाट और बड़ी क्लास के लिए टूटे डेक्स हो। इन स्कूलों में सभी खेल मुमकिन तो नहीं होते थे.और ९० के दशक में सभी