"A small tribute to Irrfan Khan from mine"
‘" इरफ़ान खान के लिए मेरी और से एक छोटी सी श्रद्धांजलि" आज की तारीख भी उसी दिन की तरह याद किया जाएगा जैसे उस दिन जब भाई भाई आपस में लड़ने लगे थे कोई एक दूसरे से कम नहीं था। जापान के रेसलरो के माफिक घेरे से बहार को धकेलने को लगे रहते हैं होते तो मोटे-मोटे हैं पर दूसरों के इशारों पर खेल खेलते हैं. सट्टा लगावा कर लोगो का मनोरंजन करते हैं. उस मनहूस दिन के बारे में हम पहले भी बात कर चुके हैं। कितना दर्द हो रहा था हैं इंसानों को लड़ते हुए देख कर। आज इस पेड़ के पत्ते मायूस से बैठे हैं आपस में कोई बात नहीं कर रहे।आज लगता हैं सूरज जल्दी निकला हैं तेज रौशनी से सराबोर हैं सारा जहाँ। पेड़ पौधे आज सही से रौशनी से खाना नहीं खा रहे. मौसम में आज कुछ तो अजीब हैं शायद कुछ कहना चाहते हैं। मगर चाहा कर भी नहीं कह पा रहे। शायद वो इन पत्तों के बोलने का इंतज़ार कर रहे हैं। मगर ये हैं के हिल भी नहीं रहे। अब बादल भी मायूस हो गए और आगे बढ़ गए शायद आज उनको इन पत्तों का चेहकना न सुनाई पड़े। बदलो को जाते देख पत्तों ने अलिफ़ से य तक नहीं...