“हम और तुम”- hum-tum-or- ye- book
“हम और तुम” ___________________ “हम और तुम” "आ ओ देखे कुछ किताबों को । शायद मिल जाये अतीत इन किताबों में. आओ पढ़े इन किताबों को, चलो बैठो, तुम कही गुम हो, चुप हो, खामोश हो। आओ यहाँ बैठो, शायद कुछ मिल जाए,कुछ छुपा हुआ, इन किताबों में। मैं बैठा हूँ डरो नहीं, बैठो तो सही, लो पकड़ो इन किताबों को, मेरे पास शायद कुछ किताब हैं, चलो पढ़ते हैं इन लाल हरी काली दस्ते वाली किताबों को । तुम जो किताब लिए बैठे हो शायद वो मेरी जिन्दागी हो तो कियूं न हम साथ साथ बैठ पड़ते एक और क़िताब। जिसका नाम हो “हम और तुम” लेखक इज़हार आलम देहलवी www.writerdelhiwala.com