PPE KIT वार्सिस बुरखा KIT

"PPE किट वार्सिस बुरखा "


"पेड़ की भूमिका"
“चलिए हम आपको लेख पढ़ने से पहले। इसकी भूमिका के बारे में थोड़ा समझा देते हैं।आप इसको नाटक/कहानी/वार्तालाप/लेख जो भी कहे पर हर शब्द उनकी ज़ुबानी। इस लेख को बयान किरदार करते हैं.और हम यानि “इज़हार आलम” अपनी कलम से लिखते हैं। किरदार हमारे घर के सामने वाला पेड़ हैं। इस पेड़ के पत्तों के साथ साथ-साथ इस रहने वाले परिंदे। जो घोंसला बना कर इस पेड़ रहते हैं। पेड़ के क़िरदार या पात्र कहें सब पर्यावरण के मित्र हैं। जैसे - पेड़ के पत्तों में से पहला किरदार “हसमुख और दूसरा- “दोमुख” इसी तरह और भी नाम हैं इस पेड़ के पत्तो के। “चील आंटी” (जिनका बड़ा सा घोसला बना हैं इस पेड़ पर), “तोते मियाँ”,गुररिया”(छोटी चिड़िया जो लुप्त हो गई), “कोयल” ओर बोहोत सारे परिंदे जो इस पेड़ पर रोज़ सुबह आ कर बैठ जाते हैं और बतियाते हैं । इनकी जुबानी आपके लिए।”
PPE किट वार्सिस बुरखा 




"भाई दोमुख ये PPE  किट की चर्चा  इतनी क्यूँ  हो रही हैं।"- हसमुख निचे जाते हुए एक इंसान को देख रहा था जो अभी एक नीली सी किट पहने बाइक पर सवार जा रहा था। पूरा नीला दिखाई पड़ रहा था जैसे कला बुरखा पहने कोई मुस्लिम इंसान होता हैं वैसे था वो इंसान।- हसमुख ने कहा -"भाई दोमुख, मेरा मानना तो ये हैं के PPE किट में और जो सामने वाली ललन की पड़ोसन नाज़नीन जो नीला कपडा सा पहनती हैं वो भी ऐसा ही हैं" 
         बीच  हमें चील आंटी बोली अबे बेवकूफ उसे बुरखा केहवे है"-  "हा वही बुरखा में नाम लेने वाला था, मेडम चील, आप जारा सुन तो लेती"- हा तो मैं कह रहा था के PPE किट और बुरखे में कोई अंतर ज्यादा नहीं हैं "
तोते के साथ बैठी कोयल न भी मीठे सुर में गर्दन हिलती हुई बोली " ये तो सही कहा इसमें भी लोग अपना जिस्म ढकते हैं और उस PPE  किट में भी पूरा जिस्म को ढकना होता हैं बस ". हसमुख - " बात सही हैं तभी तो PPE  किट को वो सभी पहनते हैं. जो मरीज़ के आस पास रहते हैं पर यही मुस्लिम की औरते करती हैं जो उन मनचलो की गंदे कीटाणु भरी ज़बान के कीटाणु के साथं हवस से भरी आँखों से पर्दा होता हैं साथ ही वो हर तरह की बिमारी से मेहफ़ूज़ रहती हैं जो बहार हवा में रहती हैं" -दोमुख
 वही बैठी गुररया चिड़िया ने भी सवाल पूछ लिया - "बताओ ये PPE  किट कब और क्यूँ  बनी।"

(तो आइए जानते हैं कि क्या होता है पीपीई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स।) 
" WHO ने ये किट बनाई हैं. इसका रूप आग बुझाने वाली  फॉयर मैन  जैसी किट पहनते  हैं उससे मुत्तासिर हो कर अफ्रीका में फैले इबोला वायरस जेसी बिमारी से बचने के लिए किया गया था।" -हसमुख। तोते मियां ने कहा - "उसी तरह बुरखा भी जिस्म पर इसी तरह पहना जाता हैं ताकि कोई गंदगी नहीं  लगे। बेशक ये इस्लाम के मजहब में हैं के औरत परदे में रहे , मगर इसका मतलब ये नहीं के औरत घर में कैद रहे, मुस्लिम की औरते  जोब भी करती हैं चाहे वो स्कूल टीचर की हो या कोई पब्लिक डीलिंग की ही क्यूँ  न हो। बुरखे में अगर कोई गंदगी लग भी जाये तो आप उसको धोह कर साफ़ किया जा सकता हैं।"- "जबकि चिकित्सा जगत में कोरोना वायरस, इबोला वायरस और निप्पा वायरस जैसे खतरनाक वायरस हैं, जिनके मरीज डॉक्टरों और देखभाल कर्ताओं द्वारा दिन-रात देखे जाते हैं। इसलिए, उन्हें सुरक्षा उपकरणों की सख्त जरूरत है"। - चील आंटी ने बड़े गर्व से बताया क्यूँ की इसका जवाब और किसी को नहीं पता था -
       अब बारी आती हैं एक नए परिंदे की जो उसी पेड़ पर अपना घर बना कर रह रहा था नहीं रह रहे थे यानि मधुमक्खियां उनका जवाब भी उन सब के लिए परेणा बना। अब बारी बारी  मधुमक्खी बोलने लगी। -
(covid) कोविड-19,पूरी दुनिया में एक महामारी का रूप ले कर अपने पैर पसार चुकी हैं। लाखो लोगो की मौत का काल भी बनती जा रही हैं दुनिया इस महामारी से बचने के लिए युद्ध इस्तर पर रिसर्च कर रही हैं किस तरह इस महामारी से बचा जा सकता हैं। 
      जब कोरोना का जन्म हुआ तो शुरुआत में ही बताया जा चूका था के आपको दूर रहना एक दूसरे से हाथ नहीं मिलना, गले नहीं लगना।  कमसे काम 6 फिट की दुरी रखना  हाथ बार बार 20 सेकेण्ड तक धोना,आदि जो आप सभी जानते हो। फिर आया नया फरमान WHO ने बताया के आपको यानि डॉ. को या उन लोगो को जो मरीज़ के आस पास रहते हैं। उनको दुरी मैं नहीं रखा जा सकता तो WHO ने बताया के के PPE किट को इस्तेमाल करना हैं।"
       अब PPE किट में हैं क्या जो ये डॉ. को नर्सो को या उन जैसे और लोगो को पहना हैं। उन्होंने ऐसे कपडे का चुनाओ किया, जो हल्का हो और ज्यादा देर तक पहना जा सकने वाला हो सर से पेरो तक ढाका जा सके हाथो में दस्ताने हो, मुँह भी ढका हुआ हो चाहें मास्क से या फेस प्रोटेक्शन आईटम से।आम तौर पर मास्क, ग्लोव्स, गाउन, एप्रन, फेस प्रोटेक्टर, फेस शील्ड, स्पेशल हेलमेट, रेस्पिरेटर्स, आई प्रोटेक्टर, गोगल्स, हेड कवर, शू कवर, रबर बूट्स इसमें गिने जा सकते हैं। ऐसा लिबास बनाया गया. ताकि इस किट को पहनने वालो को कोरोना वायरस का पार्टिकल उनके शरीर तक न पोहोच पाए। यहाँ आपको बताते चले मुस्लिम औरते एक PPE किट जैसा कुछ पहनती हैं उसको कहते हैं बुरखा।  जिस पर अब से कुछ महीने पहले तक पूरी दुनिया ख़ास  कर अमेरिका, यूरोप के मुल्क और हमारे भारत में भी बुरखे वालो को निसाना बनाना शुरू कर दिया था। चाहे वो उनके धर्म को ले कर फब्तियां  या वो लोग जो मुस्लिम पर अपनी औरतों को बुरखे के बहाने कैद कर रखा हो। का बहाना हो ।


  
      जैसा ऊपर बताया गया हैं PPE किट क्या हैं और बुरखा , बुरखे को थोड़ा सा बदलाव PPT किट बन जायेगा, मुँह पर मास्क हाथो में गलव्स और सर ढका हुआ हो साथ ही दूरी बना कर चलना या मिलने को तरजीह दी जा रही हैं। आपने ग्लव्स पहने हैं आपने ये सभी पहने हैं तो आप पास से भी मिल सकते हैं और हाथ भी  मिला सकते सकते हैं.  में ऐसा इस लिए कह रहा हूँ क्यूँ  की हमारे आज के समाज में चेहरा ढकना बुरा मना जाता हैं।  पर क्या अब वाक़ये गलत होगा बुरखा पहनना जब की सभी एक दूसरे को बीमार इंसां की तरह देखते हैं।  और बच कर चलना चाहते हैं तो ऐसे में सवाल पैदा होगा क्या हर कोई  PPE किटका इस्तेमाल नहीं कर सकता ,और न ही बुरखा पहन सकता हैं इसमें जो लोग बुरखा पहनते हैं उनको सम्मान के साथ देखना चाहिए ताक़ि इस महामारी से बचा जा सके।"  
हसमुख ने हखीर में कहा - "अब उस टेक्नोलॉजी का क्या होगा जो गोवेर्मेंट ने बनाई थी जगह जगह फेस डिडक्शन कैमरे जो चेहरा की तस्वीर लेकर उसकी डिटेल बयां कर देते थे अब कहा जाएगी वो खुफिया टेक्नोलॉजी। कमसे काम दो साल तो मुँह से मास्क नहीं उतने वाला।"- 
      चील आंटी ने बीचमें ही टोका और अपनी बात शुरू की - "पहले तो ये लोग बुरखे को बुरा भला कहा करते थे अब वही बुरखा आपकी जान बचा रहा हैं चाहे वो PPE  किट का नाम ही क्यूँ ना हो उसको देख कर भी लोग भागते हैं कहीं उस किट पहने इंसान से हम को तो कोरोना वायरस न हो जाएं।  मगर बुरखा तो हजारो बिमारिओ को रोकता आया हैं क्यूँ जी राणिमुखी रोकेगा ?"- राणिमुखी जो दुर्मुख की पड़ोसन थी अब वो जवान होनेलगी थी - "इंशाअल्लाह रोकता रहेगा".

बुरखा -बुर्क़ा 

लेखक
इज़हार आलम
(WRITERDELHIWALA)




















ये लिंक वो हैं जिनमे बुर्के की खबर हैं और PPE  किट की।
https://www.indiatoday.in/world/story/countries-that-ban-burkha-hijab-niqab-1514673-2019-05-02
https://montrealgazette.com/news/local-news/watch-whats-the-difference-between-a-hijab-chador-niqab-and-burka/
https://sanmarg.in/home-slider/jd-womens-college-of-bihar-imposes-ban-on-burqa-will-be-fined-for-breaking-rules/
https://www.news18.com/news/india/indigenous-ppe-kit-developed-to-fight-coronavirus-production-may-start-this-week-2585747.html
https://www.outlookindia.com/website/story/india-news-coronavirus-iit-kanpur-develops-ppe-for-frontline-workers-for-less-than-rs-100-each/350464



پی پی ای کٹ بمقابلہ برکھا

"بھئی ڈومکھ ، اس پی پی ای کٹ پر اتنا چرچا کیوں ہورہا ہے۔" ۔حسموق ایک ایسے شخص کی طرف دیکھ رہا تھا جو صرف نیلی کٹ پہنے بائیک پر سوار تھا۔ مکمل نیلے رنگوں کو دیکھا گیا جیسے کالا برکھا پہنے ہوئے ایک مسلمان شخص تھا ، وہ شخص بھی ایسا ہی تھا۔ - حسमुख نے کہا - "بھائی دوھمکھ ، مجھے یقین ہے کہ یہ پی پی ای کٹ اور سامنے والے للlanن کے پڑوسی نازنین میں ہے جو نیلے رنگ کا کپڑا ہے۔ وہ ایک ہی پہنتی ہے "
         کتیا ہم چچی آنٹی بولی ابے بیوقوف اس کے برخا کہے ہیں "-" برقعہ میں نام رکھنے والا ہا تھا ، میڈم چلی ، آپ زارا مجھے تواتی سنتے ہیں "- ہہ میں کہہ رہا تھا کہ پی پی ای کٹ اور برقع میں زیادہ فرق نہیں ہے۔ "
طوطے کے ساتھ بیٹھے کویل نے اس کے باوجود ، میٹھے لہجے میں سر ہلایا ، "یہ ٹھیک ہے ، لوگ اپنے جسم کو بھی ڈھانپتے ہیں اور اس پی پی ای کٹ میں بھی ، پورے جسم کو ڈھانپنا پڑتا ہے"۔ حسमुख - "ٹھیک ہے ، ہم سب پی پی ای کٹ پہنتے ہیں۔ وہ جو مریض کے آس پاس رہتی ہیں لیکن یہ مسلمانوں کی وہ عورتیں ہیں جو ان چیزوں کے گندے جراثیم کے جراثیم سے ہوس بھری آنکھوں سے ڈھانپ گئیں۔ ایک ہی وقت میں ، وہ ہر قسم کی بیماریوں سے خوش ہے جو باہر کی ہوا میں رہتی ہے "۔ ڈوموک
 بیٹھے گوریا پرندے نے بھی سوال پوچھا - "مجھے بتائیں کہ یہ پی پی ای کٹ کب اور کیوں بنائی گئی تھی؟"

(تو ہمیں بتائیں کہ پی پی ای کٹ یعنی ذاتی تحفظ کے سازوسامان کیا ہوتا ہے۔)
"ڈبلیو ایچ او نے یہ کٹس ڈیزائن کیں۔ یہ پورے افریقہ میں پھیلنے والے ایبولا وائرس کو آگ بجھانے والے شخص کی طرح کٹ پہن کر چھڑانے کے لئے ڈیزائن کیا گیا تھا۔" - خوش طوطے میاں نے کہا - "اسی طرح جسم پر برقعے اس طرح پہنے جاتے ہیں تاکہ کوئی گڑبڑ نہ ہو۔ یقینا وہ دین اسلام میں ہیں کہ عورت کو پردے میں ہی رہنا چاہئے ، لیکن اس کا مطلب یہ نہیں ہے کہ عورت گھر میں قید ہے ، مسلم خواتین یہ کیوں کرتی ہیں ، چاہے وہ اسکول کی ٹیچر ہو یا پبلک ڈیلر؟ اگر برقعے میں کوئی گندگی ہے تو آپ اسے صاف کرسکتے ہیں۔ "-" طبی دنیا میں کورونا وائرس کے دوران ، ایبولا وائرس اور نپا وائرس جیسے خطرناک وائرس موجود ہیں ، جن کے مریض ڈاکٹروں اور نگہداشت کرنے والے دن رات دیکھتے ہیں۔ لہذا ، انہیں حفاظتی آلات کی اشد ضرورت ہے "۔ - چیل آنٹی نے فخر سے بتایا کہ اس کا جواب کسی اور کو کیوں نہیں معلوم۔
       اب نئی پرندے کی باری ہے جو اسی درخت پر اپنا مکان بنا کر رہ رہا تھا ، یعنی شہد کی مکھیوں کا اس کا جواب بھی ان سب کے لئے پریشانی بن گیا تھا۔ اب مکھی بولنا شروع کردی۔ -
(کوڈ) کوویڈ ۔19 ایک وبا کی شکل میں پوری دنیا میں پھیل گیا ہے۔ لاکھوں لوگوں کی موت کا دور بھی بنتا جارہا ہے ، دنیا اس وبا سے بچنے کے لئے جنگ کی سطح پر تحقیق کررہی ہے ، اس وبا سے کیسے بچا جاسکتا ہے۔
      جب کورونا کی پیدائش ہوئی تو ، شروع میں ہی بتایا گیا تھا کہ آپ ایک دوسرے سے دور نہیں رہیں ، گلے نہ لگائیں۔ کم سے کم کام کے ل 6 ، 6 فٹ کا فاصلہ رکھنا ، 20 سیکنڈ تک بار بار ہاتھ دھونے وغیرہ ، جو آپ سب جانتے ہو۔ پھر نیا حکم آیا جس نے آپ کو بتایا تھا ، یعنی ڈاکٹر یا وہ لوگ جو مریض کے آس پاس رہتے ہیں۔ اگر انہیں ایک طرف نہیں رکھا جاسکتا تو ، ڈبلیو ایچ او نے کہا کہ پی پی ای کٹ کو استعمال کرنا ہے۔ "
       اب ، پی پی ای کٹ میں کیا ہیں ، یہ نرسوں یا ان جیسے دوسرے لوگوں کو ڈاکٹر پہنتے ہیں۔ انہوں نے ایسے کپڑے منتخب کیے جو ہلکے ہیں اور لمبے عرصے تک پہنے جاسکتے ہیں ، سر سے گھیرے تک ڈھکے جاسکتے ہیں ، ہاتھوں میں دستانے ہیں ، منہ چھپائے ہوئے ہیں ، چاہے وہ کسی ماسک سے ہو یا چہرے سے بچانے والی کسی شے کے ساتھ۔ دستانے ، گاؤن ، aprons ، چہرہ محافظ ، چہرے کی ڈھال ، خصوصی ہیلمٹ ، سانس لینے ، آنکھ محافظ ، چشمیں ، سر کا احاطہ ، جوتے کا احاطہ ، ربڑ کے جوتے شمار کیے جاسکتے ہیں۔ اس طرح ایک veneer پیدا کیا گیا تھا. تاکہ یہ کٹ پہننے والوں کے جسم میں کورونا وائرس ذرات نہ ہوں۔ آئیے ہم یہاں آپ کو بتاتے ہیں ، مسلمان خواتین پی پی ای کٹ کی طرح کچھ پہنتی ہیں ، جسے برقع کہتے ہیں۔ جس پر اب سے چند ماہ قبل پوری دنیا نے خاص طور پر امریکہ ، یورپ اور ہمارے ہندوستان میں جلائے ہوئے لوگوں کو بنانا شروع کیا۔ چاہے وہ اپنے مذہب کی خاطر ہو ، یا وہ لوگ جنہوں نے اپنی عورتوں کو دھوکہ دہی کے بہانے قید کردیا ہے۔ معذرت.

      جیسا کہ اوپر بتایا گیا ہے کہ پی پی ای کٹ کیا ہے اور برقع میں تھوڑی تبدیلی ہے ، برقع پی پی ٹی کٹ بن جائے گی ، منہ پر ماسک دستانے اور سر ڈھانپے ہوئے ہیں ، اسی طرح چلنے یا فاصلہ طے کرنے کو ترجیح دی جاتی ہے۔ آپ نے دستانے پہنا ہوا ہے ، آپ نے ان سب کو پہنا ہوا ہے ، لہذا آپ قریب سے مل سکتے ہیں اور مصافحہ بھی کرسکتے ہیں۔ میں یہ اس لئے کہہ رہا ہوں کیونکہ آج ہمارے معاشرے میں چہرہ ڈھانپنا ممنوع ہے۔ لیکن کیا اب برقعہ پہننا غلط ہوگا جب ہر شخص ایک دوسرے کو کسی بیمار شخص کی طرح دیکھتا ہے۔ اور اگر آپ فرار ہونا چاہتے ہیں تو سوال پیدا ہوگا ، کیا ہر کوئی پی پی ای کٹکا کا استعمال نہیں کرسکتا ہے ، اور نہ ہی وہ برقعہ پہن سکتا ہے ، پھر برقعہ پہننے والوں کے ساتھ احترام برتاؤ کیا جائے تاکہ اس وبا سے بچا جاسکے۔ "
حسमुख نے حکیر میں کہا - "اب اس ٹکنالوجی کا کیا بنے گا جو گورنمنٹ نے تیار کیا ، اس کے بجائے چہرے کا پتہ لگانے والے کیمرا جو چہرے کی تصویر کھینچ کر چہرے کی تفصیلات بتاتے تھے ، اب کہا جائے گا انٹیلی جنس ٹیکنالوجی۔ ایسا ہی. "-
چچی آنٹی نے مداخلت کی اور اپنی گفتگو کا آغاز کیا - "پہلے یہ لوگ برق کو برا بھلا کہتے تھے ، اب وہی برکھا آپ کی جان بچا رہی ہے چاہے یہ پی پی ای کٹ کا نام ہی کیوں نہ ہو اور لوگ اسے دیکھ کر بھاگ جاتے ہیں۔ ہمیں وہ کٹ پہننے والے شخص سے کورونا وائرس نہیں لینا چاہئے۔ لیکن برکھا نے ہزاروں بیماریاں بند کردی ہیں ، رانموخی کیوں رکے گی؟ "- رانموخی جو ڈرمکھ کا ہمسایہ تھا اب جوان تھا -" انشاءاللہ رک جائے گا "۔

مصنف
اظہار عالم

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