facebook ki mehrbaan. rachi kahani gular ka ped i het",फेसबुक की मेहरबानी, एक रची कहानी "गूलर का पेड़ आई हेट"



फेसबुक की मेहरबानी, एक रची कहानी 
"गूलर का पेड़ आई हेट"



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            "फेसबुक कितना भी इस्तेमाल कर लो मन नहीं भरता"- हसमुख अपने मोबाइल की स्क्रीन पर फेसबुक की न्यूज़ पढ़ रहा था लोगो के डेली डाले जाने वाले मीम और पोस्ट बड़े चाओ से देख रहा था। दोमुख, चांदमुखी दोनों हसमुख के उस रिएक्शन को देख रहें थे जिसको पढ़ कर हसमुख कभी हसंता तो कभी गुस्से में बड़बड़ करता।  काफी देर हो चुकी थी रात के सायद 1 बजे होंगे। दोमुख से जब रहा नहीं गया तो उसने हसमुख के कंधे पर हाथ मारा और दुसरी और से उसका मोबाइल झपट लिया। -"अरे अरे कौन चोर हैं" -हसमुख घबराया, पीछे मुड़ कर देखा तो चांदमुखी और दोमुख मुस्कुरा रहे थे।  " यार ऐसा मत किया कर में घबरा जाता हूँ मेरा छोटा सा दिल बेठ सा जाता हैं।" - दोमुख ने मोबाइल के फेसबुक के उसके पेज को स्क्रोल करना शुरू किया उसमें तो पेड़ो से सम्बंधित हेट न्यूज़, स्पीच भरी पड़ी थी। दोमुख ने चांदमुखी को मोबाइल की स्क्रीन दिखाते हुए सवाल किया। "देखो देखो इस न्यूज़ को क्या तुम भी ऐसा ही सोचती हो हसमुख के बारे में "-" क्या सवाल करते हो दोमुख, वापस दो उसका मोबाइल( स्क्रीन पर एक केक्टस और कुछ बाबुल के पेड़ एक आम के पेड़ को नोच रहे थे उसकी छाल को छील रहे थे और एक बेहूदा सा नारा लगा रहे थे जिसको कोई भी सुन आम के पेड़ो के खिलाफ हो सकता हैं।) तुम्हारा दोस्त हैं किसी की परसनल चीज़े  नहीं देखा करते, पता हैं न, तुम्हारे ये अच्छे एडिकेट नहीं हैं।" ठीक हैं माना के सही एडिकेट नहीं हैं पर क्या तुमने इसके पेज को देखा हैं क्या क्या मेसेज पढता हैं ये"-" क्या मतलब कैसे कैसे क्या कोई लड़की के हैं"- "नहीं चांदमुख तुम मासूम हो एक बार इसकी प्रोफाइल का पेज देखो कितनी गन्दी हैट स्पीच सुनता हैं" - बीच में ही बाते काटता हुआ हसमुख ने मोबाइल छीनने की नाकामयाब कोशिश की पर दोमुख ने नहीं दिया -" यार कुछ नहीं हैं बस मेरे प्रोफाइल पर आते हैं, मैं पड़ता हूँ और आगे फोरवड़ कर देता हूँ"- " यानी दूसरे किसी ग्रुप/इंसान को फोरवड़ कर उसको भी इस गन्दी हेट स्पीच के जाल में फसा लेता हैं क्यूँ "- "हां" - तुमने देखा हैं इसमें कैसे कैसे पोस्ट होते हैं ' क्या मतलब कैसे कैसे पोस्टो की बात कर रहा हैं" दो मुख ने मोबाइल को देखते हुए कहा ये क्या हैं"- हसमुख ने पोस्ट देखि और थोड़ा हिचकाया।  " ये... ये तो गूलर के पेड़ की पोस्ट हैं' - तो क्या लिखा  हैं इस पोस्ट में जारा चांदमुखी को ये भी बता दो" - चांदमुखी ने झपाक से मोबाइल को दोमुख से लपका और उसका वो पोस्ट पढ़ने लगी. पोस्ट में लिखा था " गूलर जैसा मनहूस पेड़, हमारे फल देने वाले पेड़ो की जड़ो को खोकला कर रहा हैं। इसके बदनुमा फलो में कीड़े पैदा करने की छमता होती हैं जिससे हमारे जैसे पेड़ो के स्वाद नुमा फल पत्ते बर्बाद हो जायेंगे। हमारी कम्यूनिटी ऐसे पेड़ो को बरदाश्त कतई नहीं कर सकती। उनके मोटे घने पेड़ो की टहनिया और उन पर लगते बदबूदार फल जिनकी वजह से हमारी जमीन नापाक गन्दी हो जाती हैं ,इन पेड़ो को अगर नहीं काटा तो हम बर्बाद हो जायेंगे। ऐसे पेड़ो को जड़ से उखड कर जला देना चाहिए। ताकि उनका अस्तित्व ही इस मिटटी से मिट जाए. जो भाई मेरी बातो से सहमत हैं वो इस पोस्ट को अपने 10 दोस्तों को भेजे और हमारे इस मुहीम से जुड़े ताकि इसकी आवाज़ हमारे टापू की सरकार के कानो में पड़ जाये, बोलो केक्टस जिंदाबाद"- चांदमुखी ने गंभीर हो कर हसमुख से पूछा। "ये किस प्रकार की पोस्ट पड़ते हो हसमुख तुम को पता हैं हमारा एक दूसरे से जमीनी सम्बन्ध हैं। गूलर मेरा मौसा हैं आम हमारा चचेरा बाई हैं गूलर अंकल इसके बिना हम कुछ नहीं इनके बिना तो पीपल शीशम, चीड़ जैसे पेड़ बर्बाद हो जायेंगे। आज गूलर हैं, कल हमारी जाती के पेड़ो की बारी होगी हसमुख हमारी नस्ल भी बेकारो में कहलाई जायेगी हम फूलो के सिवाए देते ही क्या हैं. वो भी साल में एक बार, हम ज्यादा बेकार के पेड़ो की नस्ल हैं।"- हंसमुख ने अपना पक्ष रखना चाहा। -"मेरा इन पोस्टो से कोई लेना देना नहीं हैं चांदमुखी जैसे तुम्हारे बड़े हैं वैसे हमारे भी हैं। मैं तो ऐसी कोई भेदभाव वाली पोस्ट नहीं लिखता। न ही कोई हेट स्पीच वाली पोस्ट मैं फोरवड़ करता हूँ। पता नहीं कौन लोग हैं जो ऐसी पोस्ट डालते रहते हैं। उनका मकसद क्या होता हैं। ये काम तो फेसबुक के मालिको का हैं ऐसी गलत-सलत पोस्टो को अपने प्लेटफॉर्म से हटा क्यूँ नहीं देते क्यूँ हम जैसे मासूम पत्तो के साथ खिलवाड़ करवाते रहेंगे"- दोमुख ने फेसबुक पर और आगे पढ़ा जो पुरे पेज पर सिर्फ एक किस्म के पेड़ो के खिलाफ ही दुवेश भरा पड़ा था। "अच्छा ये एक खाश जाती घर्म किस्म के पेड़ थे जिनके ख़िलाफ़ फेसबुक पर हेट फोटो, स्पीच डाले जाते हैं"-  चांदमुखी ने हसमुख से सवाल किया "तुम क्या चाहते हो गूलर बेकार पेड़ हैं, या हम, वो तो फल भी देता हैं. मगर हम तो कुछ भी नहीं उगाते। उसमें हजारो अच्छाई हैं हम से तो हजारो फायदे हैं गुलर जात के पेड़ में तुमने ऐसा क्या नुख़्स  देखा के तुम भी अपनी पोस्ट में गूलर की जड़ो को उखड फेकने की बाते करने लगे हो"- हसमुख को अपने लिख पोस्ट पर लज्जा आने लगी जिसको चांदमुखी पढ़ रही थी। - "मेरा मतलब तुम लोग नहीं समझे में तो बस शयेर करता हूँ लिखता कहा हूँ".- "तो इसका जिम्मेदार कौन होगा जब सभी  लोग कहेंगे के में कहा लिखता हूँ में तो बस शयेर करता हूँ।  मेरी कहा गलती हैं" -"हसमुख तुम जानते हो चंद झाड़िओ की कम्युनिटी की वजह से और चंद केक्टस के इखट्टा हो जाने से फलो के पेड़ो को जो नुक्सान होगा उसका अंदाजा सायद हसमुख तुम लगा नहीं पा रहे हो. किसी एक खाश पेड़ को निशाना बनाना और उस पर फेसबुक का कोई भी रिएक्शन हमारे सामज और हमारी बिरादरी के लिए खतरनाक होगा" - हसमुख ने तुरंत जवाब दिया। "चांदमुखी मुझे क्या पता था.मेने तो बस इसको शयेर किया था। ऐसे तो हजारो पोस्ट हैं और कई सो पेड़ो की जातिओ के लिए अपशब्द लिखे जाते रहते हैं, मैं इन सभी पोस्ट  को नहीं रोक सकता। मेरा काम नहीं हैं ये, अगर कोई झाड़ गूलर को या आम के पेड़ को बर्बाद करने के लिए षडयंत  कर रहा हैं तो मुझे क्या मुझे तो इसमें पड़ना भी नहीं मेरा क्या नुक्सान/क्या फायदा होगा"- दोमुख ने तपाक से जवाब दिया।  "हमरा तो नुक्सान हैं इन सभी के बारे में अगर कोई गलत निख़ता हैं तो।  हम अगर नहीं रोकेंगे तो कौन रोकेगा। घर उसका जलेगा चिंगारी हम तक भी आएगी हसमुख बाबू".- "मुझे बताओ में क्या कर सकता हूँ "-हसमुख - तुम इसको रोक नहीं सकते हमको पता हैं ये काम फेसबुक के मालिक का हैं उसकी बनाई टीम का"- "अगर टीम ही नहीं चाहें तो ?" -- हसमुख। " टीम अगर नहीं चाहेगी तो उसके मालिक को सजा होगी "-दोमुख।  "तुम तीनो नादान हो "- चील ने अपनी आँखे आहिस्ता से खोलते हुए कहा -" वैसे तुम तीनो इस मुद्दे पर बेहेस क्यूँ कर रहे हो। इस फेसबुक की जडे इस टापू की जमीन पर गहरी बहुत ग़हरी हो चली हैं यहाँ के हर पेड़ की जड़ो में अपनी पेठ बना चूका हैं. इसको उखड़ना या हटा पाना अब इस टापू की सरकारों के बस की बात नहीं तुम्हारी बिरादरी यानी पेड़ो की बिरादरी इसका कुछ कर भी नहीं सकती, क्यूँकी तुम्हारे टापू की सरकारों ने इसको अंदर ही अंदर खरीद रखा हैं सरकार के चाहने वाले व्यापारिओं के ज़रिये ये सब कुछ किया जाता हैं। इसका इस्तेमाल वो अपनी सरकार बनाने या किसी सरकार को गिराने का माध्यम बन गया हैं". "या यू कहें के किसी विशेष पेड़ो के समुह या कोई विशेष पेड़ को निशाना बनाना ही इस माद्यम का मक़सद होता हैं ". 

             चांदमुखी ने बीच ही में टोका -" ऐसा क्या हैं इस माद्यम में क्यूँ विशेष पेड़ या पेड़ो के समूह को निशाना बना कर अपना मकसद पूरा करना चाहते हैं। क्यूँ नहीं हम इसको उखाड फेक सकते और चेन की जिंदगी गुजर बसर कर सके."-चील आंटी - "मगर? दोस्तों इस विशाल माद्यम की जडे सरकार के संरक्षण में फैलाई गई हैं, अब जो सरकार चाहेगी वही आप लोग इस माध्यम पर पढ़ोंगे/देखोंगे। जो नहीं चाहेगी वो हटवा देती हैं, ये पेड़ो की चुनी हुई हमारी सरकार हैं ये क्यूँ ऐसा चाहेगी, हमने सरकार को चुना हैं फिर सरकार हमारी नहीं सुनेगी तो किसकी सुनेगी "- "तुम लोग भोले हो. चलो तुम को एक कहानी सुनाती हूँ इस माध्यम फेसबुक की तब समझ में आएगा के फेसबुक की जड सरकार ने इतनी ग़हरी क्यूँ कर रखी हैं "- "ठीक हैं सुनाओ पता तो चले हम गलत हैं या फेसबुक".-हसमुख ने बड़ी ताओ में चील की तरफ देखा।  दोमुख और चांदमुखी ने अपने माथे पर हाथ मारा और हसमुख को पकड़ कर निचे दाल पर बिठा दिया अमावस्य की रात हैं आज चारो तरफ गुप् अँधेरा हुआ हैं. चील ने बाते करनी शुरू किया। - "तुम मार्क ज़कर्बग का नाम तो जानते होंगे वो ही हैं जो फेसबुक का मालिक हैं अगर कुछ गलत करता हैं तो अदालत मार्क ज़कर्बग को ही सम्मान जारी करेगी। फेसबुक को ऐड चाहिए। अपनी कंपनी को चलने के लिए तो कोण देगा उसको ऐड।  वही कंपनी जो इस प्लेटफॉर्म को जानती हैं कितने लोग फेसबुक चलाते हैं उसी हिसाब से वो ऐड देते हैं अब पैसा और चाहिए या फेसबुक का प्रसार पुरे संसार में करना तो वहा की गवरमेंट के रूल से चलना होगा।  अब यहाँ होता क्या हैं गोरमेंट के किसी गलत निति की अगर मुखालफत करनी हो तो सरकार को चारो तरफ से घेरना होगा उसमें लोगो तक फेसबुक वट्सप  आदि ज़बरदस्त माध्यम हैं जहा सरकार के ख़िलाफ़ आप अपना रोष प्रकट कर सकते हो। साथ ही किसी मुहीम का हिस्सा भी बन कर सरकार उखाड फेकने में मदद कर सकते हो यानी उसके खिलाफ नहीं सच के साथ दे कर। अब यहाँ सरकार का कानून काम आता हैं वो इन प्लेटफॉर्म को धमका कर या मोटी रकम का लालच दे कर यानी अपने हक़ में कर लेती हैं उस कंपनी को उस देश में रहना और वहा से पैसे कमाने हैं तो उसको सरकार का कहना मानना तथा उसके स्पोर्ट में एक टीम भी कायम कर देती हैं जो उसके फायदे के लिए पोस्ट को डालना या हटाना काम करती हैं". 

कंटिन्यू पार्ट -2  

लेखक 
इज़हार आलम देहलवी 
(writerdelhiwaala )











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