इस्माइल की उम्मीद


कहानी: इस्माइल की उम्मीद


इस्माइल एक साधारण सरकारी कर्मचारी है, जिसकी जिंदगी में पैसे की तंगी हमेशा बनी रहती है। उसकी आय सीमित है, पर खर्चे आसमान छूते हैं। इस्माइल को पेंटिंग्स का बहुत शौक है। उसके घर की दीवारें खूबसूरत पेंटिंग्स से सजी रहती हैं। ये पेंटिंग्स उसके दिल को सुकून देती हैं, लेकिन उसकी जेब को खाली कर देती हैं।

इस्माइल की एक प्यारी सी बेटी है, जिसे वह अपनी जान से ज्यादा प्यार करता है। बेटी बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार है और उसका सपना है कि वह विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करे। इस्माइल अपनी बेटी के इस सपने को पूरा करना चाहता है, पर उसकी आर्थिक हालत इसके आड़े आ रही है।

घर वाले और करीबी रिश्तेदार इस्माइल के इस फैसले के खिलाफ हैं। वे कहते हैं, "बेटी को विदेश भेजने का कोई मतलब नहीं है। इतना खर्चा करने की क्या जरूरत है?" कुछ लोग तो यह भी कह देते हैं, "बेटियों पर इतना खर्च करने से क्या फायदा? उन्हें तो आखिरकार शादी कर ही जाना है।" इन तानों और तर्कों ने इस्माइल के दिल को भारी कर दिया है।

लेकिन इस्माइल ने ठान लिया है कि वह हर हाल में अपनी बेटी को बाहर पढ़ने भेजेगा। उसके दो करीबी दोस्त, जो हमेशा उसकी हर मुश्किल में उसके साथ खड़े रहते हैं, उसे हौसला देते हैं। वे कहते हैं, "इस्माइल, तुम्हारी बेटी में बहुत टैलेंट है। उसे उसकी मंजिल तक पहुंचने का मौका मिलना चाहिए।"

इस्माइल ने अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने कुछ कीमती गहने बेच दिए हैं, जो उसकी पत्नी की यादगार थे। उसने कुछ दोस्तों से उधार भी लिया है और बड़ी मुश्किल से बेटी की फीस जमा की है। बेटी का दाख़िला हो गया है, और इस्माइल की आंखों में उम्मीद की चमक आ गई है। उसने वीसा के लिए पासपोर्ट जमा कर दिया है।

अब जब वीसा प्रक्रिया चल रही है, इस्माइल को एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा है। उसने सोचा, "जो कुछ भी होगा, देखा जाएगा। मैंने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए जो कर सकता था, किया।"

हालांकि, इस्माइल के दिल में एक अनजानी सी घबराहट भी है। वह सोचता है, "क्या मैं सच में सही कर रहा हूँ? क्या मैं उसे सपोर्ट कर पाऊंगा?"

लेकिन इस्माइल को अपने फैसले पर यकीन है। वह जानता है कि सपनों की राह आसान नहीं होती, पर अगर दिल में सच्ची चाहत हो तो हर मुश्किल पार की जा सकती है। इस्माइल ने साबित कर दिया है कि सच्चा प्यार और आत्मविश्वास हर बाधा को पार कर सकता है। दुनिया चाहे जो कहे, इस्माइल ने अपनी बेटी के सपनों को सच कर दिखाया है।

इस्माइल की कहानी हमें यह सिखाती है कि जब सपनों की खातिर संघर्ष किया जाए, तो वो कभी अधूरे नहीं रहते। मुश्किलें जरूर आती हैं, पर सच्चे इरादे और हिम्मत से उनका सामना किया जा सकता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"आप के बिना जीवन"

PPE KIT वार्सिस बुरखा KIT

इन्दु त्रिपाठी आर्टिस्ट