ललन तेरी बात भी याद आएगी,Lalan will miss you too

Every tree says something, I have started writing on this subject. Some things happen on the tree. On which there is a story between the leaves and the living birds who tell each other the day-to-day story. They are written in Hindi but will translate it into English, and Urdu too.
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दिनांक २० मार्च 2020
20 march 2020 

ललन तेरी बात भी याद आएगी

मैं इनकी बाते बड़ी ध्यान से निचे बैठा सुनना करता हूँ। दोनों मजे से  किसी भी खबर पर पूरे दिन वाद विवाद कर सकते हैं. ये मैं  बोहोत अच्छी तरह समझ गया हूँ। में अक्सर इस पेड़ की छाओं में लेट जाया करता हूँ और इस दरख्त की  छाओ के साथ साथ मैं इन पर लगे पत्तो और इस पर बसे परिंदो की रोचक गुफ्तगू सुना करता हूँ. बड़ी ही शालीनता होती हैं इनकी बातचीत में इंसानों की तरह नहीं के अपनी बात न मानी तो लगे लड़ने एक दूसरे के सर फोड़ देते हैं।  पर इनकी बातो में वो तल्खी नहीं हैं. 


    दोमुखी ने बड़े स्नेह से हसमुख  को कहा - “यार आज कल वाली बात. जिसमें इंसानो की आदतों की बात  कर रहा था वो शुरू से सुना”-हसमुख  ने दोमुखी से कहा -” तो तुझे फ़ुरसत मिल गई सुनने की” दोमुखी - "भाई ज्यादा भाव नहीं खाते”हसमुख - “भाव तो तुझे उस कली ने नहीं दी” - हसमुख हँसा - दोमुखी के पास वाली डाली पर एक फूल की कलि डाल से निकलने को बेताप हो रही थी. अभी खिलने में वक़्त था। तो मिलने में भी वक़्त था। तो दोमुखी ने सोचा हसमुख की ही सुन लेते हैं।  सुन क्या लेते , कुछ बहस ही कर लेते हैं क्यूँ की आज कल यही हो रहा हैं हर बात पर बेहेस, बेहेस पर बेहेस। इंसानो में वो टीवी के एंकर। एंकर नहीं अजीब ग्रह के अजीब बाशिंदे हैं जो टीवी पर कितनी भद्दी और ख़राब भाषा का इस्तेमाल करते हैं। दोमुखी ने हसमुख की टहनी को हिलाते हुए कहा - “अब सुनायेगा के यू ही सोचता रहेगा। तू भी भाव खायेगा इस कली की माफ़िक”“अबे बोहोत बोल रहा हैं जनता नहीं ऊंची आवाज़ में, मैं बात नहीं करता”- हंसमुख ने डाटते हुए अंदाज़ में दोमुख को कहा। दोमुख ने मज़ाकिया अंदाज में हसमुख से कहा - “ओह हो बात तो तू ऐसे कर रहा जैसे कही का खुशबाहर का पत्ता हैं” - हसमुख ने फिर लताड़ा - “दोमुख लगता हैं तेरा भी वो ही हल होगा जैसा पिछले दिन तेरे पास वाले हंससुख  का हुआ था भूल गया”


दसमुख ,हसमुख का करीबी था। पिछले दिनो से कुछ पीला पड़ता जा रहा था। बारिश  भी नहीं हो रही थी। बारिश न होने से हम सब प्यासे थे। दो दिन पहले बारिश हुई, तो तेज आंधी के साथ, जिसमें उस पत्ते के साथ साथ उसके जैसे पत्तों को उखाड के साथ ले उड़ी थी।” “मगर यार तू तो बड़ा झूम झूम के बारिश की बूँदो का मजा ले रहा था।”
“हा दोमुख बात तो सही कह रहा हैं. बारिश के आने की आहट से मेरा दिल अठखेलिया खाने लगता हैं और मुझे वो गाना यादआ जाता है”. 
“कोन सा गाना डिअर” -दोमुख सावलिये अंदाज़ में पूछा 
हसमुख मुस्कुराया और दोमुख से बोलै - “अरे वो ही सामने वाली खिड़की से अक्सर बारिश में गना सुनाई पड़ता हैं” 
“भीगे होट तेरे, पियासा मन मेरा” - दोमुख ने झट से गाना सुना दिया। “
“अरे यही तो गाना हैं. जो तन मन को झकझोर देता हैं”-हसमुख गाने को गन गुनने लगा.
में नीचे लेता लता इनकी मौज मस्ती को सुन रहा था के मेरी रेडिओ में भी एक मनपसंद गना सुनाई दिया 
“कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता हैं के जैसे तुझको बनाया गया हैं मेरे लिए ,तू अस्मा में बस रही थी कही ,  तूझे जमी पर उतरा गया हैं मेरे लिए”- ये अमिताभ साहब पर फिल्माया गया गाना  हैं   
ऊपर पत्तों में बेहेस चल रही हैं के ये गना जो मेरी रेडिओ में बज रहा था वो ये गाना उस “ललिमुखी” को भी पसंद हैं जो पिछले साल मेरे उगने के बाद टूट गई थी.  -दोमुख 
हसमुख ने दोमुख को लताड़ा - “तू मानेगा नहीं पडोसनो को देखने की आदत तेरी जाएगी नहीं”. 
“अरे नहीं यार उसकी याद बोहोत आ रही हैं” -दोमुखी
“इतना भी लगाओ नहीं रखते दोस्त। हमारा पत्ता कब काट जाये इसका गुमान तो होगा तुम्हे। हमारा कुछ नहीं पता कब सूख जाये और इस जिंदगी का अंत हो जाये”- दिल उससे लगाओ जो तुम्हारे साथ ही जिए और साथ जाये , यानी प्यार इतना करे के तुम्हारे साथ साथ वो भी अपने को खाक कर ले” - हंश्मुख 
 “हा पिछली बारिश में वो टपक गई उसकी उम्र मुझसे बड़ी थी वो उस चक्र का हिस्सा था. उसके बाद मैं, मेरे बाद कोई और. ये इंसान कब समझेगा” - हसमुख ने बड़े संजीदगी में जवाब दिया था. 
 “अबे इसी लिए तो में उस काली के खिलने की राह देख रहा हूँ वो नहीं तो कोई और सही दिल तो लगा रहेगा हमारा इस खूबसूरत से पेड़ पर  “-दोमुखी।
“हा बुरा तो हुआ था। खेर उस गाने के बारे में बता जो तुझे पसंद हैं” - हशमुख 
दोमुख निचे देखता हुआ हसमुख की और मुखातिब हुआ। “वो छोड़, देख निचे वो फिर रेडिओ लेकर लेटा हुआ हैं”  -दोमुखी
अबे गाना बता -हसमुख ने एक जोरदार झोके केसाथ उसके कनपटी पर जोर से मारा .
“बे मारिओ नहीं”। “मारिओ नहीं यहाँ छोटा दिमाग होता हैं. मैं बतारिया हूँ -दोमुखी गुस्से में झल्ला गया।  पर अगले ही पल गुस्सा गुम हो गया। “अच्छा सॉरी यार बोलता हूँ” -हशमुख ने बड़े मस्त अंदाज़ से बोला। 
दोमुख ने हसमुख से कहा - “गाना छोड़ एक बात तो बता के हम दोनों में लड़ाई होती हैं हम कही नहीं जाते और गलती भी मान लेते हैं। पर ये इंसानों में बड़ी ईगो प्रॉब्लम हैं सॉरी भी बोलते समय बड़ी शर्म लगे हैं इनको।
हसमुख ने दोमुख की बात पर हामी भरते - “बात तो सोले आने की करता हैं दोमुखी।”
हसमुख दोमुख को सामने की और इशारा करते हुए बोला - “जिस दिन बारिश हो रही थी. उससे एक दिन पहले वो जो जमाल के सामने रहता हैं ललन”
हां उसके यहाँ तो बोहोत भीड़ हैं कोन- कोन  रहते उसके यहाँ। -दोमुख 
“अरे इसका फादर,मदर,वाइफ और 4 बच्चे रहते हैं। पता हैं उस रात को इसके माँ बाप  के साथ इसका झगड़ा हो गया इस ललन ने अपने माँ बाप को अपनी बीवी के कहने पर बोहोत बुरा भला कहा यहां तक ललन ने उनको रात का खाना भी नहीं दिया - और कहता हुआ हसमुख की आँखों में नमि दिखाई पढ़ रही थी.
दोमुख ने हसमुख के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा - “साला बड़ा ही हरामी हैं। इसको शर्म भी न आई होगी। जिसका पेट में 9 महीने रहा. जिसके पैदा होने पर दर्द झेला हो मोत को करीब से देखा हो. जिसको पाल-पोसने में अपना खून पसीना इसकी खेती बढ़ाने में लगा दी हो और सींच कर इतना बड़ा कर दिया हो उसने एक पराई घर से आई लड़की से चंद सालो की मोहब्बत के लिए अपने माँ बाप को एक समय का खाना भी नसीब ना करा सकता हो, लानत हैं। हसमुख ऐसे इंसान पर.
    - छी ऐसे इंसान होने पर इससे अच्छा हैं हम चंद महीनों की जिंदगी लाते हैं और खुशी खुशी इस जिंदगी को किसी को तकलीफ़ दिए चले जाते हैं । - दोमुख मायूस हो जाता हैं। 
हसमुख बोला दोमुख से  - “नहीं यार पूरी बात सुन लिया कर देख आसमान में घटा छा रही  हैं लगता हैं आज बारिश आएगी 
तुम बीच में कौन से मौसम की बात कर करने लगते हो. हम ललन की बात कर रहे थे.दोमुख गुस्से में हसमुख से बोलने लगा था - “मेने तो उसको आज सुबह ही आपस में बाते करते देखा हैं घर के निचे -हसमुख निचे सिडीओ की तरफ इशारा किया। 
“हा देखा होगा। मगर बीवी  के डर से अभी तक अपनी माँ को सॉरी नहीं कहा -दोमुखी
मगर कल 2 दिनों से इसकी माँ दिखाई नहीं दे रही  हैं  -हसमुख 
दोमुख ने हसमुख को बताया के “परसो शाम को जब तुम मीठी मीठी झपकियाँ ले रहे थे तो उनको दिल का दौरा पड़ा था -बिच ही में हसमुख बोल पड़ा - वो तो ठीक पर तुम को कैसे पता चला के हार्टअटैक आया हैं - दोमुख बोलै - “अबे भाई लोग चिल्ला रहे थे माँ जी को हार्टअटैक आया हैं जल्दी ले चलो. दोमुख नेकहा - “पत्नी के डर से उनको लेकर नहीं गया इसके पिता और वो उसके पडोसी ललन की माँ को ले कर गए थे.
-दोमुखी-हसमुख सोचता हुआ दोमुख से कहने लगा - “मगर ये ललन अपनी पत्नी से डरता क्यूँ हैं.
“अच्छा तो उसने अपनी माँ का हाल चाल भी नहीं पूछा -हसमुख गुन गुनता हुआ रुक गया था”. डोमकुझ ने तपाक से जवाब दिया - “नहीं बोल चाल तो दूर वो उनके पास तक भी नहीं गया जहा वो दाखिल हैं हॉस्पिटल में, मगर हा मैंने उसको अपने पिता को चुपके से कुछ पैसे देते देखा था।”- हसमुख ने जवाब दिया - “सायद वो आज बोल दे” -
“लगता तो नहीं” - “उसकी बीवी को देखा नहीं हमारी “तहसमुखी” की तरह हैं टूट तो जाएगी डाल से पर अकड़ कम ना होगी -दोमुखी ने हसमुख को जवाब दिया। 
“कोई बात नहीं दोमुख एक दिन ऊपर वाला इनको भी इस उम्र में पहुँचाए, तब हम तो नहीं होंगे, मगर हम भी अपनी आने वाली पीढ़ी को ये कहानी सुनाकर जायेंगे ताकि ये सदीओ तक याद राखी जा सके और एक दिन वो भी आए जब ये बूढ़े होने और इनके बच्चे इनको घर से इसी तरह निकाल बहार कर देंगे।”
दोमुख ने हसमुख का हाथ पकड़ कर साथ डांस करने को -हसमुख हसता हुआ 
तभी उनका चाहने वाला पाइप निकल लता हैं जिसको देख हसमुख बोला - “दोमुख देख आसमान कितना रंगीन हो गया सूरज अपनी रौशनी को समेटने की कोशिश कर रहा हैं, इतने मन मोहक पल में कहा तू ललन की बात ले कर बेठ गया ये इंसान हैं इंसान इनकी दुम कुत्ते की दुम की तरह हैं जितने भी साल पाइप में रखो बहार निकलते ही टेडी हो जाती हैं चल छोड़. चल डांस करते हैं। “
 आज झुम के नाहयेंगे और गाएँगे। दोमुख पानी की बूंदो  में झूम रहा था।  
पाइप से पानी को  निकलता देखा मेँ भी पेड़ के निचे से खिसक  लिया। मगर उनकी बाते सुन कर खुद को शर्म आ रही हैं। ये देखा के कैसे नजर रखते हैं ये पेड़ के पत्ते इंसानों पर और हमारी आदतों पर। हम इनकी प्यास भी नहीं भुझा सकते। … नालत हैं ललन पर और ललन जेसो पर।  उसने अभी तक अपनी माँ का पता तक नहीं लिया। तभी कहूं में उसकी बीवी मेरी बीवी से क्यूँ कानो लगी रहती हैं. इसकी बीवी ने पता नहीं क्या-क्या भर दिया होगा मेरी बीवी के दिमाग में। में देखूँगा सल्लो को । (सल्लो बीवी का नाम)
 अपनी चप्पलो को तख़्त के निचे देखने लगा एक कुत्ता बड़े ही आराम से उसका सिरहाना बनाएं आराम फरमा रहा हैं। साथही उस पेड़ से टूटे पत्तो का बिछोना बनाये उनका आनंद ले रहा हैं। 

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लेखक
इज़हार आलम
राइटर देलही वाला
writerdelhiwala.com

_______Date 20 March 2020______

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