earth day / oxygen

Every tree says something 
 

Earth day/ Oxygen 



आज अर्थ-डे हैं यानी धरती का दिन। जो 22 अप्रैल 1970 को मनाया जाता हैं। 

मैं सुबह से ही न्यूज़ देख रहा था जबकि मैं आज कल के हालत में न्यूज़ कम ही देखता हूँ पर दो तीन से ऑक्सीजन की कमी के बारे में बताया जा रहा हैं मैं ख़बरे देख कर बड़ा विचलित सा हो गया इस लिए नहीं के कोरोना हैं इस लिए जो लोग कोरोना से पीड़ित हैं और ऑक्सीजन की वजह से ज़िंदा हैं या ज़िंदा रखने की कोशिश की जा रही हैं हॉस्पिटल को ऑक्सीजन मिलने में कठिनाई हो रही हैं। नहीं बाबा, मरीज़ को बाद में ऑक्सीजन पहले हॉस्पिटल को भी ऑक्सीजन चाहिए। जब हॉस्पिटल में होगी तो ही मरीज़ को मिलेगी।  

एर्थ डे पर में ये क्या बाते कर रहा हूँ।  ठीक।  पहले मैं  भी लिखने से पहले सोच रहा था।  पर दोनों का कही न कही कोई सम्बन्ध हैं।  दुनिआ की  काम होती ऑक्सीजन और हॉस्पिटल को मिलने वाली ऑक्सीजन का आपस में गहरा संबंध हैं। दोनों तरफ ऑक्सीजन इंसानो के जीने का साधन हैं जो ज़िंदा रखने के लिए एक एहम और जीवनयापी  औजार के रूप में हैं।  

मैं इसी विषय पर एक शार्ट मूवी देख रहा था यूट्यूब पर हैं लिंक में डाल दूंगा देख लेना। उस वीडियो का सीधा सम्बन्ध इंसान की जान से हैं यानी ऑक्सीजन से हैं। ऑक्सीजन की लूट-खसोट क्या होती हैं ये आप उस वीडियो में और न्यूज़ चैनलों पर चलने वाली न्यूज़ को देख ले आप कोई भी विसंगतियों नहीं लगेगी।  

हॉस्पिटल वाले फ़ोन कर रहे inx ऑक्सीजन कम्पनी को वो फ़ोन नहीं उठा रहे उनपर भी किसी न किसी का दबाव हैं चाहे मांग का या किसी पॉलटिकल दबाव का।सरकार - सरकार आपस में झगड़ रही हैं केंद्र मूक बन तमाशा देख रह हैं।  मरना दोनों और से इंसान को ही हैं। किसी हॉस्पिटल में दो घंटे का ऑक्सीजन हैं किसी के पास 1 का, लोग ऑक्सीजन के लिए दर दर भटक रहे खली सिलेंडर लिए जो वट्सप पर msg देख लिया के वहा मिल रही हैं ऑक्सीजन तो दौड़ पड़ते हैं कोई वजीरपुर कोई तुर्कमान गेट कोई शाहीन भाग कोई शाहदरा जहाँ जिसको जिस भी किसम का मसेज मिले, बस ऑक्सीजन मिलनी चाहिए। लूट खसोट भी हो रही हैं रिस्तेदार सिलेंडर लूट कर अपने रिस्तेदारो के पास पोहोचा रहा हैं।  ये सब क्या हैं।आखिर ऑक्सीजन की इस किल्लत को हम सब मिल कर क्यों नहीं दूर करते हॉस्पिटल में आपके रिस्तेदार हैं तो मेरे भी रिस्तेदार हैं। सरकार जो कर सकती हैं कर रही पर अपनों के भरोसे ज्यादा रहे सरकार तो बंगाल चुनाव में बीज़ी हैं। उनकी तरफ से एक मरे या दस लाख उनको कुर्सी चाहिए बस। यही वझे हैं जो धरती की जलवायू इतनी बदल चुकी हैं के सायद ये तो कोरोना हैं हम को कोरोना के जाने के बाद भी ऑक्सीजन मास्क कम्पलसरी न हो जाये जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन हो रहे हम अभी कोरोना का एक छोटा सा रूप दुनिया में देख रहे अब भी नहीं सुधरे तो न जाने आपको ऑक्सीजन के लिए लड़ाईयां युद्ध  पड़े. जैसे हालत हैं पानी के लिए अगला महा युद्ध होगा, दुनिया वालो के बीच। 

दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पड़ी पढ़ कर यही लगा सायद वो दिन 2067 में न आ कर 2021 में आ गया.
कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगते हुए जो कहा सायद आप जब पढ़े और उस शार्ट मूवी को देखे तो आप दोनों में फ़र्क़ नहीं कर पाएंगे। जब में लेख लिख रहा हूँ तभी सुप्रीम कोर्ट ने कुछ यू कहा :-

(नई दिल्ली: 

देश में कोरोना के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चिंता जताई है. शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस ने कहा कि देश में कोविड से हालात नेशनल इमरजेंसी जैसे हो गए हैं. देश में कोरोना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट ने चार मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें ऑक्सीजन की सप्लाई और वैक्सीन का मुद्दा भी शामिल है. CJI एस ए बोबडे ने केंद्र को इसपर नोटिस जारी किया है. 

अभी बुधवार को भी दिल्ली हाईकोर्ट में ऑक्सीजन संकट के मसले पर एक सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी. हाईकोर्ट ने देशभर में अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई में आ रही बाधा और बढ़ते मौतों को लेकर कहा कि 'इस महामारी की हालत देखकर लगता है कि सरकार को लोगों के जान जाने की फिक्र नहीं है.'* सोर्स ndtv इंडिया न्यूज़ से लिया गया हैं )


हम जा कहा रहे हैं जो समस्या आज से २०-40 साल बाद आती एक महामारी ने पहले ही ला दी ।  ये समस्या आई ही क्यों हम पहले से सजग क्यों नहीं हुए हम अपने पर्यावरण से प्यार क्यों नहीं करते क्यों हम को कोरोना जैसी महामारी ने आ घेरा हैं ? कोन जिम्मेदार हैं इन सब के लिए कोई जवाब नहीं क्यों की हम ही खुद ख़ुदग़र्ज़ हो गए हैं।  जिसका ख़ामियाज़ा हम को खुद ही भरना पड़ रहा है. 

ऑक्सीजन की किल्लत आखिर ऐसी नौबत आई क्यों हमने घूमने के लिए हरयाली को तो चुन लिया पर अपने आस पास के जब पेड़ काटे जाते हैं फेक्ट्री गंदा ज़हरीला पानी नदियों में डालती हैं तब सिर्फ मुँह बना कर निकल जाते हैं और 5 -6  दिन कही पेड़ो की छाया में बिता आते हैं। सायद हम जाग जाते तो आज ये नौबत न आई होती। 
 आप सभी को पृथ्वी दिवस की शुभकामनाए  22 अप्रैल .

writer 
izhar alam dehelvi
writerdelhiwala.com 

https://www.youtube.com/watch?v=zMVpwc1nO2k

#corona #ऑक्सीजन #erth_day #22_april #नवाजुद्दीन 
#Carbon #BarrelSelect #LargeShortFilms  #कार्बन 


टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
Very nice you are great
writer delhi wala ने कहा…
Sachi likha hein ke oxygen kitni jaruri hein magar sarkaar kuchh nahi kar rahi

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