संदेश

विशिष्ट पोस्ट

फुर्सतबाज़

चित्र
शाम का वक्त था और हल्की-हल्की बारिश ने माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया था। चारों दोस्त—आमिर, दीपक, ललित, और नकुल—हमेशा की तरह अपनी पसंदीदा 'चाय की टपरी' पर बैठे थे। यह वो जगह थी जहाँ इनकी सबसे बड़ी 'डिस्कवरी' होती थी, चाहे वो चाय की क्वालिटी हो या आमिर की गर्लफ्रेंड के बारे में बातें।   चाय के प्याले हाथ में, और दीपक के पास उसकी स्पेशल "महँगी सिगरेट"। वो सिगरेट पकड़ने का ऐसा ढोंग कर रहा था, जैसे इसे हाथ से छूते ही कोई सोने की खान निकल आएगी।  ललित ने तंज कसते हुए कहा, "भाई, ये सिगरेट है या टाइटैनिक? कितने नाज़ों से पकड़ी हुई है!" नकुल, जो हमेशा से इनकी स्केच बनाने की आदत को लेकर ताने सुनता रहता था, अपनी पेंसिल घुमा-घुमा कर आमिर के चेहरे का स्केच बना रहा था। तभी ललित ने अचानक मजाक करते हुए कहा, "नकुल, स्केच बनाना बंद कर, तेरे हाथ में पेंसिल देखकर ऐसा लग रहा है जैसे तू आमिर की गर्लफ्रेंड को ही प्रपोज कर रहा हो!" आमिर ने तुंरत चाय का घूंट भरा, लेकिन जैसे ही उसने सुना, चाय उसके मुँह से ऐसे फव्वारे की तरह निकली जैसे उसकी ज़ुबान ने 'स्प्रे मशी

इंसानियत का सबक

चित्र
एक तपती दोपहर थी, जब इज़हार अपनी मोटर साइकल पर वीराने से गुज़र रहा था। धूप इतनी तेज़ थी कि लगता था मानो आसमान से आग बरस रही हो। दोपहर के लगभग 2 बजे का समय था, और इज़हार को एहसास हुआ कि उसकी मोटर साइकल का पेट्रोल खत्म हो गया है। वह हैरान-परेशान हो गया, क्योंकि दूर-दूर तक कोई पेट्रोल पंप नज़र नहीं आ रहा था। इज़हार ने अपनी मोटर साइकल को एक तरफ़ लगाया और आस-पास कोई मदद ढूंढ़ने लगा, लेकिन वीराने में कोई इंसान या गाड़ी दिख नहीं रही थी। निराश होकर उसने मोटर साइकल को खुद ही धक्का देना शुरू किया। धूप में उसकी हालत बुरी हो रही थी, पसीने से तर-बतर और थकान से बेहाल, मगर उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं था। इसी बीच, थोड़ी देर बाद, एक स्कूटर की आवाज़ आई। इज़हार ने पीछे मुड़कर देखा, तो एक आदमी अपने स्कूटर पर धीरे-धीरे उसकी तरफ़ आ रहा था। उस आदमी की उम्र करीब पचास साल रही होगी, माथे पर तिलक लगाए हुए और चेहरे पर एक हल्की मुस्कान। वह इज़हार के पास रुका और बिना कुछ कहे मुस्कुराते हुए बोला, "भाई, परेशान मत हो।चलो बैठो मोटर साइकल पर।" इज़हार ने पहले तो संकोच किया, लेकिन फिर बैठ गया। वह आदमी स्कूटर

इस्माइल की उम्मीद

चित्र
कहानी: इस्माइल की उम्मीद इस्माइल एक साधारण सरकारी कर्मचारी है, जिसकी जिंदगी में पैसे की तंगी हमेशा बनी रहती है। उसकी आय सीमित है, पर खर्चे आसमान छूते हैं। इस्माइल को पेंटिंग्स का बहुत शौक है। उसके घर की दीवारें खूबसूरत पेंटिंग्स से सजी रहती हैं। ये पेंटिंग्स उसके दिल को सुकून देती हैं, लेकिन उसकी जेब को खाली कर देती हैं। इस्माइल की एक प्यारी सी बेटी है, जिसे वह अपनी जान से ज्यादा प्यार करता है। बेटी बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार है और उसका सपना है कि वह विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करे। इस्माइल अपनी बेटी के इस सपने को पूरा करना चाहता है, पर उसकी आर्थिक हालत इसके आड़े आ रही है। घर वाले और करीबी रिश्तेदार इस्माइल के इस फैसले के खिलाफ हैं। वे कहते हैं, "बेटी को विदेश भेजने का कोई मतलब नहीं है। इतना खर्चा करने की क्या जरूरत है?" कुछ लोग तो यह भी कह देते हैं, "बेटियों पर इतना खर्च करने से क्या फायदा? उन्हें तो आखिरकार शादी कर ही जाना है।" इन तानों और तर्कों ने इस्माइल के दिल को भारी कर दिया है। लेकिन इस्माइल ने ठान लिया है कि वह हर हाल में अपनी बेटी को बाहर पढ़ने भ

“आशा” की किरण

चित्र
**शीर्षक: आशा की किरण** दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में रहने वाली प्रिया की उम्र महज़ 22 साल थी, लेकिन उसकी ज़िम्मेदारियाँ किसी परिपक्व वयस्क से कम नहीं थीं। उसकी माँ का निधन तब हुआ था, जब वो सिर्फ़ 16 साल की थी। उसके पिता, विजय, एक स्थानीय दुकान पर काम करते थे, जहाँ से मुश्किल से घर का खर्चा चलता था। घर की छोटी-छोटी ज़रूरतें पूरी करना भी कभी-कभी मुश्किल हो जाता था। प्रिया के दो छोटे भाई-बहन थे—राहुल और पायल। माँ के जाने के बाद, प्रिया ने ही दोनों की देखभाल की ज़िम्मेदारी उठाई थी। उसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी ताकि घर का काम संभाल सके और अपने भाई-बहन की पढ़ाई में मदद कर सके। मोहल्ले के लोग उसे देखते और कहते, "बिना माँ की लड़की ज़्यादा क्या कर पाएगी?" लेकिन प्रिया के इरादे मजबूत थे।  प्रिया का सपना था कि वो एक दिन आईएएस अफ़सर बने, ताकि वह अपने परिवार को बेहतर जीवन दे सके। हर सुबह जब वह अपने भाई-बहन को स्कूल भेजती, तो मन ही मन सोचती कि एक दिन वह भी वापस स्कूल जाएगी। लेकिन दिनभर घर का काम, भाई-बहन की देखभाल और फिर मोहल्ले की महिलाओं के ताने सुनकर उसके हौसले टूटने लगते। 

इन्दु त्रिपाठी आर्टिस्ट

चित्र
इन्दु त्रिपाठी आर्टिस्ट  आर्टिस्ट की अपनी मनोकामना होती है जो पूरी ज़िंदगी पूरी करने की कल्पना करता रहता है।मनोकामना की कामना उसकी एक सोच होती है।कलाकार अपनी सोच को ही लोगो को बाँटता रहता है ! कभी रंगो के माध्यम से तो कभी मूर्तिकला,कभी इंटोलेशन,या किसी ओर माध्यम से जिसे उसको सुकून मिले। आर्टिस्ट (कलाकार) उसका अपना किरदार होता है। अपना अस्तित्व होता है जिसे पाने के लिए वो जद्दोजहद(struggle) करता है।वो एक स्त्री! जिसको अपना मुक़ाम पाने में ज़्यदा जद्दोजहद करनी पड़ती है वर मुझे बताने की ज़रूरत नहीं क्यों? इन्दु त्रिपाठी नाम ही काफ़ी हैं एक औरत कहलाने के लिए , वैसे वो एक स्त्री है, औरत है, नारी है, लड़की है, लेडीज है, माँ है, बीवी है, बहन है, सास है, बेटी है, और ना जाने कितने पात्र होती है इन्दु त्रिपाठी भी इनमें से एक है। इन्दु को मैं कई बरसों से जानता हूँ उनके साथ स्टूडियो शेयर भी करता हूँ।(गढ़ी स्टूडियो ललित कला अकादमी दिल्ली ) उनकी पेंटिंग्स से मैं काफ़ी मुतासीर हुआ हूँ, और काफ़ी पसंद भी करता हूँ उनकी पेंटिंग्स। जहां तक मेरी बात है मेरी समझ से उन्होंने अपने जीवन के उतार चढ़ाओ को ही अपन

Hemraj artist

चित्र
                                       hemraj हेमराज की पेंटिंग्स की नई श्रखला "एटरनल रिमिनिसेंस 2.0 इन दिनों बीकानेर हाउस में चल रही है हमको भी हेमराज़ की paintings को देखने का मोका मिला।  एक तो बीकानेर हाउस ही अपने में राजस्थानी ख़ूबसूबरती लिये बैठा अपर से एक और खूबसूरत पेंटिंग्स से सजा हुआ मानो किसने मूरत को शृंगार करने के लिए उसमें मणियो की शृंखला लगाई हो एलएटीसी गैलरी एक नामी रेस्टोरेंट के बग़ल में बनी हुई हैं वैसे तो बीकानेर कैम्पस बड़ा हैं मगर यहाँ कि ख़ूबसूरती यहाँ लगने वाली पेंटिंग्स से ही होती हैं। हेमराज़ का वर्क मोती नुमा दिखाई पड़ते है। एक एक पेंटिंग को आप सुनार की पारखी नज़रों से देखते हैं उनका रंग रूप और उसमें बनी हुई गहराई को आप अपनी आँखों के क़ीमती लेंसों से गहराइयों से देखते हो।मैंने काफ़ी दिनों के बाद दिल्ली में गहराइयों से बनी नई सोच के साथ बनाई गई पेंटिंग्स देखी है। हेमराज़ की चुनी हुई पेंटिंग्स "एटरनल रिमिनिसेंस 2.0" को यह जगह मिली हैं जैसे जैसे आप अन्दर जाते है वैसे वैसे आपको एक आद्यात्मिका का एहसास होता चला जाता हैं हर पेंटिंग आपको सोचने को मजबूर

मोहे रंग दे सजनी मोहे रंग दे, आज होरी रे

Every tree says something, I have started writing on this subject. Some things happen on the tree. On which there is a story between the leaves and the living birds who tell each other the day-to-day story. They are written in Hindi but will translate it into English, and Urdu too. मोहे रंग दे सजनी मोहे रंग दे, आज होरी रे  मोहे रंग दे सजनी आज मोहे रंग दे।  नीरे, गुलाबी, हरो-पिलो जैसो रंग नहीं , इस संसार में, तोरे जैसा यौवन नहीं , मैं काहें को दूजो भरू, जब संग तोरे संग मैं होरी खेरु, मोहे रंग दे सजनी आज मोहे रंग दे आज होरी रे, होरी में काहें का बुरो, काहें की लचक,  मोरे संग रंग ले सजनी मोर संग सजलें, मैं और कहूँ को रंग ना लगाऊँ, मुझ संग जब तू खेरे हैं होली, भर भर मुठियाँ भर दो साजनी,  जब जब तुम छुप छुप जाओ,  में चुपको से तुझको ढूँढ,  भर दूँ सारो यौवन में,  गोरे गालन पर हरो-पिलो रंग भर भर डालू मैं, कोई आज मोहे घूरे, कोई आज मोहे रोके,  मैं साजन संग आज ख़ूब खेरु होरी रे, मोहे रंग दे सजनी आज मोहे रंग दे। आज है होरी रे । Writerdelhiwala.com