izhar Drawing दिक्कत 202106141749001.WAV दिक्कत शब्द जब पढ़ा तो, में ख़ुद दिक्कत मे आ गया, दिल ओर दिमाग़ दोनो मे झाँका तो ख़ुद दिक्कत मे आ गया, अपने दिलो दिमाग़ को क़ंगाला तो एक दिक्कत मिल ही गई, दिक्कत देख कर मे मुस्कुराया, थोड़ा हँसा, दिक्कत भी मुस्कुराई होगी ख़ुद को देखकर, दिक्कत बस एक ही थी, हाथ फटी जेब मे था, भूख पेट थी, दिक्कत बस यही थी. @izhar alam dehelvi @Writerdelhiwala
संदेश
सिस्टम नाकाम हो गया
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
पैंटीग इज़हार (सिस्टम) सिस्टम सिस्टम नाकाम हो गया सिस्टम नाकाम हो गया, कमी सिस्टम की थी! कमी सिस्टम की थी। सिस्टम अपना काम नहीं करता, सिस्टम कभी भी धोखा दे सकता हैं, सिस्टम खुद खड़ा नहीं हो सकता, सिस्टम, सिस्टम का हिस्सा बनता जा रहा हैं, सिस्टम , सिस्टम और सिस्टम। जब सुना तो यकीन न कर पाया, के सात साल का सिस्टम कैसे नाकाम हो गया, लम्बे लम्बे तारो का बढ़ाना तो अभी शुरू ही किया था, रविंदर नाथ टैगोर दिखना/बनना तो अभी बाकी था, इलेक्शन का भी तो बोझ हैं सिस्टम पर, अभी तो बंगाल के लिए सिस्टम बाकी हैं. अभी तो सिस्टम ठीक करना सिस्टम का बाकी हैं, अभी तो बाक़ी है सिस्टम को चमकना। सिस्टम-सिस्टम पर तुम ब्लेम करते रहो, बस! क्युकी! तुम नक्सलवादी हो! तुम आतंकवादी हो, तुम विद्रोही हो, तुम टुकड़े टुकड़े गैंग हो, तुम सवाल बोहोत करते हो तुम भी तो सिस्टम हो। पिछले कोरोना के काम से थक गया था, थोड़ा आराम तो कर लेने देते, पिछले एक साल से तो सिस्टम सोया था, हज़ारो लाशो का शोर भी सायद जल्द न उठा पाए, क्युकी कुम्भकर्ण को...
earth day / oxygen
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
Every tree says something Earth day/ Oxygen आज अर्थ-डे हैं यानी धरती का दिन। जो 22 अप्रैल 1970 को मनाया जाता हैं। मैं सुबह से ही न्यूज़ देख रहा था जबकि मैं आज कल के हालत में न्यूज़ कम ही देखता हूँ पर दो तीन से ऑक्सीजन की कमी के बारे में बताया जा रहा हैं मैं ख़बरे देख कर बड़ा विचलित सा हो गया इस लिए नहीं के कोरोना हैं इस लिए जो लोग कोरोना से पीड़ित हैं और ऑक्सीजन की वजह से ज़िंदा हैं या ज़िंदा रखने की कोशिश की जा रही हैं हॉस्पिटल को ऑक्सीजन मिलने में कठिनाई हो रही हैं। नहीं बाबा, मरीज़ को बाद में ऑक्सीजन पहले हॉस्पिटल को भी ऑक्सीजन चाहिए। जब हॉस्पिटल में होगी तो ही मरीज़ को मिलेगी। एर्थ डे पर में ये क्या बाते कर रहा हूँ। ठीक। पहले मैं भी लिखने से पहले सोच रहा था। पर दोनों का कही न कही कोई सम्बन्ध हैं। दुनिआ की काम होती ऑक्सीजन और हॉस्पिटल को मिलने वाली ऑक्सीजन का आपस में गहरा संबंध हैं। दोनों तरफ ऑक्सीजन इंसानो के जीने का साधन हैं जो ज़िंदा रखने के लिए एक एहम और जीवनयापी औजार के ...
अब्बू की महक
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
अब्बू की महक paintings @izhar alam “या अल्लाह आज क्या होगा” “पिछले साल जैसा न हो, अल्लाह ऐसा मत करना, आज बोहोत बड़ा दिन हैं आई.ए.एस. का फाइनल रिजेल्टआने वाला है” I इस दिन के लिए लिए “ मेहक मेहँदी” ने बड़ी मेहनत की थी। घर बोहोत कर्ज़दार हो गया था मेहक की कोचिंग करने में। अब्बू एक छोटी सी परचून की दुकान पर मुन्सी का काम करते थे। वहा से उनको 5500/- रुपए महीना तन्खुआ मिलती थी। ड्यूटी भी 18 घंटे थी । घर वालो को टाइम ही कहा दे पते थे। सुबह बच्चों को सोते हुए छोड़ जाते,और देर रात को लौटते थे। मेहक पड़ती हुई छोटे से मकान का दरवाज़ा खोलती थी। बस यही मुलाकात होती हैं अब्बू से। अब्बू को खाना बना कर देना रोज़मर्रा थी मेहक की। और फिर वही पढ़ाई करना। यही थी कड़ी मेहनत की मेहक की। इस दिन के लिए। “लो वेब साइट पर हल-चल बढ़...
देखो बिहार आया
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
देखो बिहार आया खण्ड -2 "ए दोमुख जरा कुछ खबरे तो सुना"- चील दोमुख के कान ऐंठते हुए - "आज के मुख्य समाचार इस प्रकार हैं आंटी जी" - दोमुख सुबह की पोह फटी थी पेड़ के निचे ललन अखबार लिए बैठा जोर जोर से खबरे पढ़ रहा था। तुर्की में भूकम आया १० मर गए। "छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला ३ पुलिस वाले जख्मी", और बहार का पेज गया इसमें कोनसी खबर हैं हैं ये तो हमारे प्रधान सेवक की खबर हैं इसको धियान से पढ़ना पड़ेगा। ललन ने अपना चस्मा नाक से खिसकते हुए खबर पर ध्यान से देख कर पढ़ने लगा ललन की पड़ने की छह इतनी थी के वस्को नहीं पता था के वो सही पढ़ रहा हैं या गलत पबाद पढ़ना था इसी लिए वो सवेरे सवेरे ही अखबार ले लेकर घर से बहार पेड़ के निचे बेथ कर पढता हैं। खबर सुने आप सायद काम आजाये ललन के या आप के। "कल हमारे प्रधान सेवक गुजरात को एक नहीं कई योजनाओ का लॉक अर्पण करेंगे जो उन्होंने गुजरात को पिछले वर्ष दी थी। सरदार सरोवर पर बने कई टूरिस्ट स्पोर्ट जहा से गुजरात को हर वर्ष करोड़ो रूपीओ का सहारा मिलेगा और हजारो को नौकरी सरकारी/प्राइवेट।" और ललन चुप हो गया क...
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप

"महमूद अहमद" अगर आपको काले स्याह बदल उमड़ते महसूस हो तो आपका मन अठखेलियाँ करने लगेगा। मन के न चाहने पर भी काले स्याह बदलो से टपकती बूंदो में भीगने को बेचैन हो जायेगा हैं। ऐसा क्यों होता हें? इसका आपको पता हैं। मैं बात यहाँ मौसम की नहीं मैं बात काले स्याह रंग की कर रहा हूँ। बोहोत हैं ऐसे कलाकार जो रंगीन चित्रकारी करते हैं। मगर आपको काले स्याह रंग के कलाकार की बात करे तो हम कुछ चुनिन्दा कलाकारों की बात करते हैं। उनमें से एक ऐसा नाम जो अपना मुकाम बुलन्द बना चुके हैं जिनके कागज़ पर कपडे पर आपको स्याह रंग की बानी वो तान देखने को मिलेगी जो उनकी तजुर्बे और मेहनत से खींची गई हैं। उनके द्वारा स्याह रंग के इस्तेमाल को देखने के मुरीद हम भी हैं। हमको इस कोरोना के समय में महमूद जनाब से मुलाकात करने का मौका मिला। उनके दिल्ही स्थित ललित कला के गढ़ी के छोटे से स्टूडियो में उनकी एक मजेदार टेबल / मेज़ हैं जिस पर रखा मेहमूद पेंटिंग किया करते हैं एक कुर्सी और आस पास पेंटिंग्स का अम्बार हैं. महमूद अ...
SOORMA सुरमा बिना गॉड फादर के "
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप

"सूRMA सुरमा बिना गॉड फादर के " "सूरमा" दिलजीत दोसाँद की बेहतरीन एक्टिंग, हॉकी के सब्जेक्ट पर " चक-दे-इंडिया " और सूरमा जैसी फिल्म बनी ओर कामयाब भी हुई. मगर मैं आज इन दो चलचित्र (मूवी) की आप से बात नहीं करने जा रहा हूँ। मैं आज हॉकी की अपनी प्रेम कथा और इस खेल के सूरमा की बात करने जा रहा हूँ जैसा संदीप सिंह के जीवन की घटनाओ से प्रेरित होकर, एक शानदार फिल्म बनाई गई हैं । मैं कल रात इस फिल्म को देख रहा था फिल्म में जैसे जैसे किरदार बनता जा रहा था उसके साथ होने वाली घटनाए भी बढ़ती जा रही थी. फिल्म के देखते देखते मुझे अपना अतीत या यु कहे मुझे अपने स्कूल टाइम के समय की हॉकी खेलने की कहानी फिल्म के द्रश्यो की माफिक आँखों के सामने बारी-बारी आती गई। अब आप पूछेंगे ऐसा क्या तीर मार लिए स्कूल में। और कोई न कोई खेल स्कूल में तो सभी खेलते हैं। मगर खेल तब खाश बन जाता हैं जब यमुना पार के टेंट वाले स्कूल हो। जिसमें सुविधाओं के नाम पर बस कपडे के टेंट और बैठने के लिए टाट और बड़ी क्लास के लिए टूटे डे...